जोनाथन बील, रक्षा संवाददाता
दक्षिण यूक्रेन से
दक्षिण में यूक्रेन के लड़खड़ाते जवाबी हमले के इंचार्ज जनरल ने कहा है कि रूसी सुरक्षा के कारण पश्चिमी देशों से मिले टैंक और बख्तरबंद वाहनों सहित सैन्य वाहनों के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है.
जनरल ओलेकसांदर तार्नावस्की कहते हैं कि उनकी सेना रूस के कई परतों वाली बारूदी सुरंग और किलेबंद सुरक्षा को भेद पाने में खासी मशक्कत कर रही है.
“इसलिए कई काम टैंक हथियारों की जगह हमारे सैनिकों को करने पड़ रहे हैं.”
तार्नावस्की का कहना है कि रूस की सेना ने यूक्रेनी सेना को बड़े पेशेवर तरीके से “तेज़ी से आगे बढ़ने” से रोका है.
वो कहते हैं, “मैं दुश्मन को कम नहीं आंकता.”
अमेरिका की एक नई अपुष्ट रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई जोर-शोर से शुरू हो गयी है.
द इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ़ वॉर का कहना है कि ऐसा लगता होता है कि यूक्रेनी सेनाओं ने “पहले से तैयार कुछ रूसी डिफ़ेंस” को भेद लिया है.
लेकिन अभी तक इस बात के बहुत कम सबूत हैं कि पश्चिमी देशों से मिले टैंक और बख्तरबंद वाहनों ने युद्ध को यूक्रेन के पक्ष में निर्णायक रूप से मोड़ा है.
ओरखीव शहर के पास हमले के शुरुआती दिनों में कई लेपर्ड टैंक और अमेरिका के ब्रैडली बख्तरबंद वाहन क्षतिग्रस्त या पूरी तरह नष्ट हो गए.
नाकाम साबित होते पश्चिमी देशों के हथियार
यूक्रेन की 47वीं ब्रिगेड जिसे बड़े पैमाने पर पश्चिमी देशों ने रूसी डिफेंस लाइन को तोड़ने के लिए प्रशिक्षित किया था उन्हें बारूदी सुरंग के कारण हमला शुरू करने के थोड़ी देर बाद ही हमला रोकना पड़ा, और फिर रूसी तोपों का निशाना बने.
रूस ने घटना के कई वीडियो जारी कर दावा किया है कि यूक्रेन का आक्रमण विफल हो चुका है.
हालांकि ये यूक्रेन के लिए निर्णायक झटका नहीं बल्कि शुरुआती झटका है.
हमने उसी ब्रिगेड की एक बाहरी कार्यशाला का दौरा किया, जो फ्रंट लाइन के पीछे जंगल में एक सीक्रेट जगह पर बनाई गई है. जहाँ ब्रिगेड के लोग एक दर्जन से अधिक बख्तरबंद वाहनों की मरम्मत कर रहे थे इनमें से अधिकांश अमेरिकी वाहन ब्रैडली हैं.
ये बख्तरबंद वाहन पहले यहां बिना किसी खरोंच के पहुँचे थे लेकिन अब युद्ध के गहरे जख्म से छलनी हो गए हैं.
टूटी हुई पटरियाँ और झुके हुए पहिए, इस बात के स्पष्ट संकेत देते हैं कि ये कई रूसी बारूदी सुरंगों से टकराए हैं.
एक इंजीनियर सेरही बताते हैं, “जितनी तेज़ी से हम उनकी मरम्मत करेंगे उतनी ही तेज़ी से उन्हें फ्रंट लाइन पर फिर भेजा जा सकेगा और किसी की जान बचाई जा सकेगी.”
लेकिन वह यह भी स्वीकार करते हैं कि कुछ वाहन ऐसे हैं जिनकी मरम्मत नहीं की जा सकती और बनाने के लिए या तो स्पेयर पार्ट्स की तलाश करनी होगी या “हमारे साझेदार देशों को लौटाना” होगा ताकि वो इसे दोबारा से बना कर हमें दें.
रूस के रिमोट-कंट्रोल वाली बारूदी सुरंग
दक्षिणी मोर्चे पर यात्रा करते हुए हमने ब्रिटिश मास्टिफ बख़्तरबंद वाहनों को भी क्षतिग्रस्त हालत में देखा.
47वीं ब्रिगेड अब बारूदी सुरंगों को साफ़ करने के लिए अपने कुछ पुराने सोवियत काल के टैंकों का इस्तेमाल कर रही है लेकिन वे भी जमीन में छिपे विस्फोटकों से बचा नहीं पा रहे.
हालांकि उनमें माइन-क्लियरिंग उपरकरण लगे हुए हैं लेकिन वो भी नाकाम साबित हो रहे हैं.
फ्रंट लाइन के पास, टैंक कमांडर मक्सीम ने हमें अपना हाल ही में क्षतिग्रस्त हुआ टी-64 टैंक दिखाया.
बारूदी सुरंग के लिए इसमें आगे की तरफ दो रोलर लगाए गए हैं, लेकिन कमांडर ने बताया एक रात पहले बारूद हटाते हुए इसका एक रोलर खराब हो गया.
वह कहते हैं, “आम तौर पर हमारे रोलर्स चार विस्फोट तक सह सकते हैं, लेकिन इस बार रूसियों ने एक के ऊपर एक विस्फोटकों की परत बिछायी है ताकि हमारे वाहनों को बर्बाद किया जा सके.”
मक्सीम कहते हैं, “वहां कई सारी बारूदी सुरंगें थी इसलिए इसका बचना बहुत मुश्किल था.”
वह यह भी कहते हैं कि रूसी डिफेंस लाइन के सामने अक्सर बारूदी सुरंगों की चार से अधिक परत होती है.
यूक्रेन के ड्रोन पायलट डॉक और उनकी ड्रोन ठीक करने वाली टीम के लिए युद्ध को इस दिशा में जाता देखना दुखदायी है.
डॉक (जो इस पायलट का साइन नाम है) बीते साल खेरसॉन में हुए उस हमले में भी शामिल थे जो सफल हुआ था, लेकिन वो कहते हैं कि इस बार जवाबी हमला काफ़ी मुश्किल साबित हो रहा है.
उनका कहना है कि पहली बार सैनिक तोपों से ज्यादा बारूदी सुरंगों से घायल हो रहे हैं.
डॉक कहते हैं, “जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं हमें चारों ओर बारूदी सुरंग नज़र आती हैं.”
डॉक ने मुझे वह वीडियो दिखाया जो उन्होंने हाल ही में अपने एक ड्रोन से फिल्माया था जब यूक्रेनी सैनिक एक रूसी ट्रेंच की ओर बढ़ रहे थे.
सैनिकों के उस इलाके में घुसते ही ज़ोरदार धमाका हुआ. ये ट्रेंच पूरा खाली था लेकिन बारूदी सुरंगों से भरा हुआ था. डॉक का कहना है कि रूसी सेनाएं अब रिमोट कंट्रोल वाली बारूदी सुरंगों का इस्तेमाल कर रही हैं.
वह कहते हैं, “जब हमारे सैनिक ट्रेंच पर पहुँचते हैं तो दूर बैठे रूसी सैनिक एक बटन दबाते हैं और वह माइन फट जाती है, जिससे हमारे लोग मारे जाते हैं.”
उनका कहना है कि उन्होंने पिछले दो हफ्तों में इस रणनीति का इस्तेमाल होते देखा है और इसे “एक नया हथियार” कहा जा रहा है.
हमले के लिए यूक्रेन की ओर से दक्षिणी इलाके को चुने जाने के पीछे एक अहम वजह है. इस इलाके को मेलिटोपोल और मारियुपोल से लेकर क्रीमिया तक के कब्ज़े वाले शहरों तक पहुंचने का रास्ता माना जाता है, लेकिन इसका मतलब है कि यूक्रेन ऐसे इलाके में हमला कर रहा है जहां रूस का डिफ़ेंस सबसे ज़्यादा मज़बूत है.
हमारा हमला लक्ष्य तक पहुंचेगा
जनरल तार्नवस्की ने बताया कि उनकी सेनाएं “लागातार कठिन काम” कर रही हैं.
तार्नवस्की ने कहा, “किसी भी तरह के डिफेंस को तोड़ा जा सकता है लेकिन आपको धैर्य, समय और कुशल होने की ज़रूरत है. यूक्रेन धीरे-धीरे अपने दुश्मन को कमजोर कर रहा है. “
उन्होंने कहा कि रूस को अपने जवानों के मरने की परवाह नहीं है और उनके सैन्य नेतृत्व में हालिया बदलाव का मतलब है कि “वहां सब कुछ ठीक नहीं है.”
तार्नवस्की जोर देकर कहते हैं कि यूक्रेन अभी तक अपने हमले के मुख्य दौर में नहीं पहुंचा है.
वे कहते हैं, ”हमारा हमला अभी तेज़ हो या न हो, हमला तो हो रहा है और यह निश्चित रूप से अपने लक्ष्य तक पहुंचेगा.”
मैंने जनरल तार्नवस्की से पूछा कि हम कैसे निर्णय कर सकते हैं कि यूक्रेन का हमला सफल है या असफल?
वह मुस्कुरा कर कहते हैं, “यदि हमारा जवाबी हमला सफल नहीं होता, तो मैं आपसे बात नहीं कर रहा होता.”