प्रदीप लारिया के सरल, सहज व्यक्तित्व के आगे क्या सुरेन्द्र चौधरी के पश्चाताप के आँसुओं का जोर चल पाएगा ?
सागर की नरयावली विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेन्द्र चौधरी भाजपा के प्रत्याशी प्रदीप लारिया से तीन बार करारी हार का सामना कर चुके हैं। इसको देखते हुए उनका टिकिट कटना तय माना जा रहा था। करो या मरो जैसे संकट में फंसे चौधरी ने पार्टी आलाकमान के सामने पूरी ताकत लगा दी। सूत्र बताते हैं दिग्विजयसिंह ने भी उनसे अपना हाथ खींच लिया था। इस विधानसभा से कांग्रेस के दावेदारों की लंबी लिस्ट थी। आलाकमान द्वारा किए सर्वे में चौधरी को लेकर एक मामला जिसका जिक्र पिछले 3 विधानसभा चुनाव से सामने आ जाता है। इसमे एक वर्ग का विरोध उनके हार का कारण बताया गया। सुरेन्द्र के लिए वह मुद्दा इस बार टिकिट मिलने की रुकावट के रूप में सामने खड़ा था। आलाकमान ने उनके द्वारा किए प्रयास को नाकाफ़ी बताया। चौधरी दिग्विजयसिंह के सामने उस प्रायश्चित और जातिवर्ग को साधने को पहली प्राथमिकता मानकर चुनाव लड़ने का वादा करते हैं। इस पर गहन विचार होता है। जिसके बाद तय शर्तों के साथ उन्हें पार्टी नरयावली विधानसभा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतार देती है। चौधरी के स्वभाव और व्यवहार को लेकर सभी बाकिफ हैं। उनका इस तरह से झुकना आलाकमान की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
वहीं दूसरी तरफ प्रदीप लारिया का सहज और सरल स्वभाव उन्हें अपनी विधानसभा में लोगो के बीच लोकप्रिय बनाए रखता आया है। लारिया से इसको लेकर पूंछे सवाल का जबाब देते हुए वो बताते हैं कि मेरे लिए ऐसा कई बार हो चुका है जहां मुझे मेरे विधानसभा के लोग अपशब्द तक कह देते हैं। लारिया बताते हैं मेरा रिकॉर्ड उठा लीजिए- मैंने किसी भी विरोध का कभी पलटवार नही किया है। जिसको जो कहना है वह उसकी आजादी है। मैं ऐसे मुद्दों पर शांत रहना सही मानता हूं।
प्रदीप लारिया का नरयावली विधानसभा में हर घर से सीधा संपर्क माना जाता है। लोगों से उनकी सक्रियता की तारीफ करते हुए देखा जाता हैं। उनका मर्यादित स्वभाव नरयावली विधानसभा में काफी पसंद किया जाता है। इन सबके बीच सुरेन्द्र चौधरी का इस तरह झुकना उन्हें किसी बड़े नुकसान की तरफ जाता नही दिख रहा है।
इस बार के चुनाव में सबसे चर्चित सुरेन्द्र चौधरी का पैर पड़ना देखा जा रहा है। कई इंटरव्यू में इसको लेकर उनसे सवाल पूंछे जा रहे हैं। चौधरी कैमरे के सामने अपनी पुरानी गलती स्वीकारते देखे गए हैं। अब ऐसे में सवाल बनता है कि क्या गारंटी है वो इन बदले तेवर को बरकरार रख पाएंगे। शायद वह सब कारण हैं जिन्हें लोग भुलाना नही चाह रहे हैं या उनके व्यवहार को लेकर सभी सचेत रहना सही मानते हैं।
लारिया के महापौर के कार्यकाल की बात हो या पिछले 3 विधानसभा चुनाव जीतकर नरयावली विधानसभा के बीच उनके व्यवहार को देखें। स्वभाव को लेकर विपक्षी खेमा तक उनकी तारीफ करते देखा गया है। नरयावली विधानसभा में कुल 2 लाख 20 हजार मतदाताओं की संख्या में 1 लाख महिलाएं जिनमे 70% को लाड़ली बहना का लाभ 1.19 पुरूष मतदाताओं के साथ 70 हजार से ज्यादा अजा वर्ग 50 हजार पिछड़ा वर्ग और 40 हजार से ज्यादा सवर्ण वर्ग निर्णायक स्थिति में हैं। अब देखना होगा 2008 से अंगद की तरह पैर जमाए लारिया का तिलिस्म तोड़ने में सुरेन्द्र चौधरी किस हद तक कामयाब हो पाते हैं।