सुधीर यादव की बजह से कमल मुरझाया, सागर जिले के 3 कद्दावर मंत्री 4 विधायक बहुत बुरी तरह हारे !
सुधीर यादव को दरकिनार करना बीजेपी को बहुत भारी पड़ा है। इसके चलते सागर जिले की 7 सीटें जिसमें रहली से पंडित गोपाल भार्गव को सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। दूसरे नम्बर पर भूपेन्द्र सिंह जो चुनाव हारे हैं। गोविंद सिंह राजपूत को भी इसका खमियाजा भुगतना पड़ा है। प्रदेश के इन कद्दावर मंत्री को मिली इस हार को लेकर सुधीर यादव का कद काफी बढ़ गया है। विधायक शैलेन्द्र जैन, प्रदीप लारिया, बृजबिहारी पटैरिया और वीरेन्द्र सिंह लोधी सबने मिलकर सुधीर यादव को मनाने की बहुत कोसिस की। सागर जिले के ये क़द्दावर मंत्री सुधीर यादव से संवाद करने के प्रयास करते देखे गए थे। इतना ही नही भारतीय जनता पार्टी शीर्ष नेतृत्व इन्हें कोई भी सीट देने को तैयार थी। पर सुधीर ने जो ठान लिया सो ठान लिया। आम आदमी पार्टी ने शायद ही सोचा होगा कि इतना बड़ा चेहरा कभी मध्यप्रदेश की राजनीति में दस्तक देगा। अरविंद केजरीवाल को यह खुद से फक्र करने वाली बात हो गई है। ज्ञात हो सुधीर यादव कांग्रेस, जनशक्ति फिर बीजेपी और अब जाकर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं। सबसे बड़ी बात वो जहाँ रहे वहां इनके कद का कोई दूसरा नेता नही रहा है। विधानसभा चुनावों के समय जिले में प्रत्याशी किसी भी विधानसभा से घोषित हो उसे सबसे पहले सुधीर यादव के रूप में समर्थन की बड़े वोट बैंक की लालसा रहती है। इसमे भाग्य का विषय उनसे जुड़ा होना और उससे अच्छा एक ही पार्टी में शामिल होना होता है। शायद यह सब वो कारण हैं जहां सुधीर की डिमांड सबसे ज्यादा देखी जाती है। आप यह सब पढ़कर दुविधा में जरूर पड़ गए होगें। मैं स्प्ष्ट करना चाहता हूं। मैंने यह सब क्यों लिखा। तो आप सबको बता दूं। सुधीर यादव 2023 विधानसभा चुनाव के दौरान ठीक इसी लहजे में दहाड़े थे। उनकी ललकार से लग रहा था कि मध्यप्रदेश के सागर जिले में भारतीय जनता पार्टी को सिरे से खारिज कर दिया जाएगा। पर ये सब स्वप्न से भी गया गुजरा साबित हुआ। एक पसर मुंगेरी लाल पात्र के सपनो को पूरा होना माना जा सकता है पर जो ये सोचकर ललकार रहे रहे थे उस सब का ज्ञान इस चुनाव में अच्छे से हो गया होगा, आप जातिगत होकर एक हद तक सोच सकते हैं। पर इससे आगे किसी क्रांति की उम्मीद रखना बैमानी ही समझी जाएगी। अब शायद सुधीर यादव को जमीन का पता लग गया होगा। राजनीति के दांव- पेंच बड़े पेचीदा और निराले होते हैं। भ्रम की स्थिति बन जाना किसी के लिए भी फायदेमंद साबित नही होती। जो जीतकर जाता है। वह सब ज्ञान रखता है। जो सिरमौर बनकर उसका सारा श्रेय खुद से लेना चाहते हैं उसका परिणाम सुधीर यादव के रूप में सबके सामने आ जाता है।