सागर जनपद के चितौरा पटवारी हल्का नम्बर 56 और रेपुरा पटवारी हल्का नम्बर 57 के NH 44 से लगी बेस कीमती सरकारी भूमि पर भूमाफियाओं का कब्जा लगातार बढ़ता जा रहा है। राजस्व विभाग, वनविभाग और टोल प्लाजा की लचर कार्यप्रणाली के चलते चितौरा टोल प्लाजा के दोनों तरफ अवैध रूप से 10 ढाबा 25 से ज्यादा दुकाने और दर्जनों मकान बनाए जा चुके हैं। अवैध रूप से बने ढाबों का भूमाफिया 30 से 50 हजार और दुकानों का 4-5 हजार मासिक किराया ले रहे हैं। उत्तरप्रदेश के ललितपुर से महाराष्ट्र के नागपुर के बीच NH 44 सड़क मार्ग के 500 किलोमीटर से ज्यादा मार्ग में वाहनों के रुकने और उनकी सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यापारिक दृष्टि से यह एरिया सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। इसकी मुख्य वजहों में ट्रक चालकों और अन्य वाहनों को स्नानागार , खाने, आराम करने की व्यवस्था से ज्यादा यहां पर बड़ी मात्रा में पनपा नशे का व्यापार माना जाता है। राष्ट्रीय राजमार्ग के 500 मीटर एरिया में शराब ठेके नहीं खोले जाने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश हैं। इस सबके बाबजूद आबकारी विभाग सबंधित थाना क्षेत्र और प्रशासनिक विभाग की मिलीभगत से इस क्षेत्र में यह अवैध कार्य वर्षों से फल और फूल रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कानून व्यवस्था को लेकर कलेक्टर-एसपी के अच्छा काम नहीं करने पर 6 जनवरी से उन्हें बदलने को कहा है। उन्होंने कहा- एसपी भी फील्ड में उतरें और नशे की सप्लाई चेन समझें और उसे तोड़ें। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मेरी ओर से फ्री मुख्यमंत्री ने फ्री हैंड दिया है। सरकार के सख्त निर्देश के आलोक में कुछ जगहों पर अंचल ने अतिक्रमण हटाने को लेकर अभियान चलाया था। लेकिन अब सभी निर्देश फाइलों में ही दबे हुए है जबकि जिले में सरकारी जमीन से अतिक्रमण खाली कराने को लेकर मुख्यमंत्री व प्रधान सचिव ने डीएम को निर्देशित करते हुए सभी विभाग के पदाधिकारियों से सूची की मांग कर अतिक्रमण हटाने का सख्त निर्देश दिए हैं।
जिले के ग्राम पंचायतों में बड़ी संख्या में सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा बढ़ता ही जा रहा है। अंचलाधिकारी के उदासीनता के कारण अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है। जिससे सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर कब्जा जमाए बैठे लोगों के हौसले बुलंद है। जिससे मुख्यमंत्री का यह आदेश बेअसर साबित होता हुआ दिख रहा है। सभी अंचलों में सैकड़ों अतिक्रमण वाद दायर फाइल को धूल चाटने के लिए कार्यालय में छोड़ दिया गया है। स्थिति यह है कि दायर वाद में सालो बाद भी अतिक्रमणकारियों को नोटिस दिए जाकर इतिश्री कर ली जाती है।
ग्राम चितौरा और रेपुरा के NH44 राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी भूमि की चैन वर्षों से चली आ रही है। 2 किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में बने इन ढाबों और दुकानों को बाकायदा बींम, कालम देकर मजबूत स्लैब से बनाया गया है। बड़े रूप में फैले इस अवैध निर्माण को लेकर विभाग की मिलीभगत को नजरअंदाज नही किया जा सकता है।
रेपुरा मौजा में भोले अहिरवार 4 एकड़ पर कब्जाकर यह खुद का स्लैब वाला पक्का मकान, ढाबा, दुकान और तार फेंसिंग किये हुए है। मलखान यादव ,दौलत यादव व परिवार के अन्य सदस्य मिलकर 4 ढाबा 4 दुकान जिसमे दो ढाबों पर मामूली अतिक्रमण कार्रवाई की गई जिसे दोबारा बनाया जाकर संचालित किया जाने लगा। इसका परिवार 3 एकड़ से ज्यादा राजस्व भूमि पर कब्जा किये हुए है। हरिसिंह 4 दुकाने और पक्का मकान बनाकर लगभग 2.5 एकड़ पर कब्जा करके रह रहा है।
चितौरा मौजा में महेश अहिरवार ढाबा और दुकान बनाकर 2.5 एकड़ से ज्यादा भूमि पर कब्जा करके रह रहा है। नन्ने बाई अहिरवार उसका बेटा हनमत मिलकर 2 एकड़ से ज्यादा भूमि पर दुकान और मकान … दलपत चौधरी , 2.5 एकड़ भूमि पर खेती मकान और ढाबा.. 4 एकड़ के लगभग भूमि पर झल्लू अहिरवार 5 दुकान किराए से देकर 3 पक्के मकान बनाकर परिवार सहित रहता है। खनजू चौधरी पक्का मकान 1 एकड़ जमीन पर कब्जा। जय सिंह लोधी पक्का मकान बनाकर 1 एकड़ भूमि पर कब्जा। दयाराम पटेल पक्का मकान 1 एकड़ भूमि पर कब्जा। लीला चौधरी पक्का मकान 1 एकड़ भूमि पर कब्जा। मुन्ना अहिरवार 1 एकड़ भूमि पर कब्जा पक्का मकान साथ ही दल्पा अहिरवार, गुलाब ने जमीन कब्जा कर उसके बेटों खनजू , हल्ले, महेश और लीला ने जय सिंह लोधी, हनमत चौधरी और दया राम पटेल को बेची है। इस तरह अन्य ने मिलकर रैपुरा और चितौरा मौजा में अवैध रूप से 10 बड़े ढाबों 25-30 से ज्यादा दुकानों को संचालित कर में उनसे 30 से 40 हजार प्रति ढाबा और 3 हजार से 5 हजार किराया दुकानों से हर माह बसूलते हैं।