सागर जिले की सुरखी विधानसभा का मोकलपुर नाम लेते ही एक शख्स जिनका चेहरा सबसे पहले आँखों के सामने आ जाता है। वो नाम है राजेन्द्र सिंह जिनका गौत्र तोमर (राजपूत) है। गौत्र से तात्पर्य कुल या वंश की पहचान से है। इनके नाम के पीछे लगा ‘मोकलपुर’ इसी तरह एक खास पहचान को मानकर लिया जाता है। मिलकर बना “राजेन्द्र सिंह मोकलपुर” यह वह नाम है। जो एक दूसरे के बगैर अधूरे हैं। इनके बड़े बेटे पुष्पेंद्र (मोनू) सिंह मोकलपुर और छोटे बेटे अरविंद (सोनू) सिंह मोकलपुर हैं।
ग्राम मोकलपुर के साकेत बिहारी राम जानकी मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी 24 से शुरू होकर यह मृगशिरा नक्षत्र में राम जानकी प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान, पूजन विधान कार्यक्रम के 22 तारीख को अयोध्या में विराजित राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ग्राम ग्राम मोकलपुर में संपन्न हुआ है। इसमें 25 जनवरी को हुए विशाल भंडारा कार्यक्रम में 11 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने राम जानकी दर्शन और प्रसाद ग्रहण किया है। आपको बता दें मोकलपुर में साकेत बिहारी मंदिर निर्माण से पहले भव्य देव जानकी रमण मंदिर निर्माण सन 2003 से शुरू हुआ था जिसकी प्राण प्रतिष्ठा सन 2008 को हुई। अब मोकलपुर में दो भव्य राम मंदिर जिसमे साकेत बिहारी राम जानकी और श्री देव जानकी रमण मंदिर के श्रद्धालु दर्शन लाभ ले सकते हैं। इसके कृपा पात्र बने पुष्पेन्द्र सिंह (मोनू) जिनके द्वारा पथरिया में सिद्धिदात्री दुर्गा देवी मंदिर की आधारशिला 2014-15 में रखी गई जिनका 6.10.16 अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ था। इस मंदिर को बने हुए 7 वर्ष हो चुके हैं। इसके साथ ग्राम भिलैयां में बने अति प्राचीन, माता सिंह वाहिनी देवी जी और श्री हनुमान लला भगवान जी मंदिर जिनका निर्माण बहुत समय से लंबित था। उसे पूरा कराने के लिए ग्रामवासी पुष्पेंद्र सिंह मोकलपुर के यहां जाते हैं। मोकलपुर ने उसे सहर्ष स्वीकार कर दोनो मंदिर निर्माण कार्य पूरे कराए हैं।
हिन्दू सनातन धर्म मे मंदिर जाकर यह सिद्ध करते हैं कि आप देव शक्तियों में विश्वास रखते हैं। इससे देव शक्तियां भी आपमें विश्वास रखेंगी। यदि मंदिर नहीं जाते हैं तो कैसे व्यक्त करेंगे की आप परमेश्वर या देवताओं की तरफ है। अच्छे मनोभाव से जाने वाले की सभी तरह की समस्याएं प्रतिदिन मंदिर जाने से समाप्त हो जाती है। मंदिर जाते रहने से मन में दृढ़ विश्वास और उम्मीद की ऊर्जा का संचार होता है। विश्वास की शक्ति से ही धन, समृद्धि और सुख, शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही मंदिर में शंख और घंटियों की आवाजें वातावरण को शुद्ध कर मन और मस्तिष्क को शांत करती हैं। धूप और दीप से मन और मस्तिष्क के सभी तरह के नकारात्मक भाव हट जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पुष्पेन्द्र सिंह मोकलपुर के मंदिर निर्माण से जुड़े संयोग को देखें तो इसे ईश्वरीय कृपा से जुड़ा मानकर देखा जाता है। मोकलपुर में 2008 में पूर्ण हुए देव जानकी रमण का कुल एरिया 4 एकड़ का है। जिसमे 1.75 एकड़ में मंदिर और 2.25 एकड़ में राम बगीचा है। इसमें डबल स्टोरी की बड़ी धर्मशाला बनाई गई है। जिसमे गांव और आसपास दूर क्षेत्रों के सभी बड़े आयोजन होते रहते हैं। पथरिया स्थित सिद्धि दात्री दुर्गा देवी मंदिर निर्माण से पहले यहां प्रतिवर्ष नवरात्रि में 21 वर्ष माँ देवी जी की स्थापना मोकलपुर और उनके सहयोगी साथियों, मित्रों द्वारा की गई। ग्राम मोकलपुर में संख्या बल के हिसाब से देखें तो यहां पटेल समाज सबसे ज्यादा हैं। इनके मोहल्ले में बने साकेत धाम राम जानकी मंदिर जीर्णोद्धार को लेकर समाज से जुड़े लोग अपने मोनू भैया के पास जाते हैं। यह मंदिर अति प्राचीन समय का है। मोकलपुर ने इसे ईश्वरीय आदेश माना और 6 महीने के कम समय मे भव्य मंदिर निर्माण पूरा करवाया है। जिसका एरिया 10 हजार square feet में फैला हुआ है।
पुष्पेन्द्र सिंह मोकलपुर मंदिर निर्माण से जुड़े संयोग को लेकर बताते हैं कि मैं भाग्यशाली हूँ जो ईश्वर ने मुझे इसके लिए चुना है। मुझे ऐसे आदेश मिलते रहें मैं अपने आराध्य से यहीं विनती करता हूँ। उन्होंने बताया 2008 को पूर्ण हुए देव जानकी रमण मंदिर जो 350-400 वर्ष पुराना अति प्राचीन मंदिर है। इस स्थान को लेकर मेरे पूज्य दादा जी महराज सिंह राजपूत की परम इक्षा और श्रद्धा थी कि यहां एक विशाल मंदिर निर्माण करवाया जाए। पथरिया में बने सिद्धि दात्री दुर्गा देवी मंदिर को लेकर प्रतिवर्ष नवदुर्गा देवी स्थापना के समय मेरे पिता जी राजेन्द्र सिंह ने उस स्थान पर एक विशाल देवी माता मंदिर बनवाने का श्रद्धाभाव जताया था। भिलैयां गांव स्थित माता सिंह वाहिनी देवी जी और श्री हनुमान जी भगवान मंदिर में ग्रामीणों के देवभाव और 22 जनवरी 24 को बने साकेत बिहारी मंदिर जो पटेल मोहल्ला में बना अति प्राचीन मंदिर है। जब मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर बात हुई तो वहां मिट्टी से बनी मोटी-मोटी दीवारों के रहते यह संभव नही था। इसलिए सारा नवीन निर्माण करवाया है। मोकलपुर कहते हैं, साकेत बिहारी मंदिर में ईश्वरीय आशीर्वाद और गांव वालों की अथाह श्रद्धा का फल है जो एक विशाल मंदिर इतने कम समय मे बनकर तैयार हुआ है।
राजेन्द्र सिंह मोकलपुर के बड़े बेटे पुष्पेंद्र सिंह का नाम सागर जिले के बड़े उद्योगपति में गिना जाता है। पुष्पेंद्र सिंह और उनके छोटे भाई अरविंद सिंह मोकलपुर की राजनीति से उलट व्यापार में ज्यादा रुचि देखी जाती है। एक खास बात जो इन्हें एक जगह लाकर खड़ा कर देती है। वो हैं इनकी जन्मभूमि से अथाह लगाव का होना। जिसको लेकर यह परिवार कोई समझौता नही करता है। इस गांव की एकता जिले से बाहर दूर-दूर तक सुनने मिल जाया करती है। सुरखी विधानसभा के चुनाव परिणाम को लेकर मोकलपुर और इससे जुड़े गांव का विशेष महत्व देखने मिलता है।
अभी हालिया चुनाव में बीजेपी से जीते उम्मीदवार गोविंद सिंह राजपूत को आखरी उन्नीसवें राउंड तक निकटतम प्रतिद्वंद्वी नीरज शर्मा से कड़ा मुकाबला देखा गया। अंतिम राउंड जो मोकलपुर और यहां के अन्य गांव जहां राजेन्द्र सिंह मोकलपुर का प्रभाव रहता आया है। वहां वो खुद को आगे ले जाकर पार्टी के उम्मीदवार को जिताने की अपील करते हैं जिसके फलस्वरूप न सिर्फ उनके उम्मीदवार विजयी होते हैं। साथ ही सागर जिले से गोविंद सिंह राजपूत एकलौते मंत्री के रूप में चुनकर सामने आते हैं।
मोकलपुर गांव की एक और खास बात इस गांव का संगठन में रहकर निर्णय लेना जो अपने आप मे काबिले तारीफ है। यहां के हर छोटे-बड़े निर्णय साथ मिलकर लिए जाते हैं। गांव में सरपंच चुनाव भी निर्विरोध होता आ रहा है। सरकारी योजनाओं का लाभ सभी को मिले इसको लेकर परस्पर एक दूसरे का सहयोग किया जाता है। इस सबकी देखरेख का जिम्मा पुष्पेन्द्र सिंह के हाथों मे रहता है। गांव से जुड़े बड़े निर्णयों को लेकर जहां ग्रामीण राजेन्द्र सिंह मोकलपुर के यहां जाते हैं। शेष पुष्पेंद्र सिंह उनके छोटे भाई अरविंद सिंह और गांव के बड़े बुजुर्गों युवाओं के साथ मिल बैठकर लिए जाते हैं।