टेस्ट सिरीज़ जीतने वाली टीम इंडिया ने बिना एक पल गँवाए उसी रात को पोर्ट ऑफ़ स्पेन से बारबाडोस का रुख़ करने का प्लान बना लिया था क्योंकि वन-डे सिरीज़ के लिए टीम इंडिया के खिलाड़ी पहले से ही वहाँ पहुँच चुके थे.
लेकिन, वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड के ढुलमुल रवैए के चलते टीम इंडिया की रात की 11 बजे की प्लाइट अगले दिन सुबह तीन बजे निकली और टेस्ट खिलाड़ियों को अभ्यास करने की तो छोड़िए, मंगलवार को वनडे टीम के खिलाड़ियों ने भी नैट-प्रैक्टिस नहीं की.
बुधवार को ऐसा नहीं रहा. टीम इंडिया के तमाम खिलाडियों ने पसीना बहाया, लेकिन जो सबसे अच्छी बात देखने को लगी वो ये कि इतनी ख़ुशी वाले मूड में सारे खिलाड़ी एक साथ शायद ही दिखते हों.
इसकी एक बड़ी वजह है कप्तान रोहित शर्मा का बिंदास अंदाज़. रोहित को देखकर और बाते करते हुए अहसास ही नहीं होता है कि उन्हें सिर्फ़ एक साल पहले ही कप्तानी मिली थी और अगले कुछ महीनों में एशिया कप और फिर वर्ल्ड कप जैसे अहम टूर्नामेंट हैं.
रोहित अपने ख़ास अंदाज़ में ईशान किशन से लेकर कोच राहुल द्रविड़ से घुलते-मिलते हैं और टीम का पूरा माहौल हल्का रखते हैं.
इस वनडे सिरीज़ के लिए जीतना टीम इंडिया के लिए शायद बहुत मायने नहीं रखता हो और ये एक महज़ औपचारिकता ही साबित हो, ख़ासकर ये देखते हुए कि मेज़बान टीम 70 सालों के इतिहास में पहली बार वनडे वर्ल्ड कप में हिस्सा नहीं लेगी.
मैच से ठीक दो दिन पहले बारबाडोस की प्रधानमंत्री ने सर फ़्रैंक वॉरेल मेमोरियल लेक्चर के दौरान कैरेबियाई जनता के दुख और दर्द को वेस्टइंडीज टीम के सामने बयां किया.
उन्हें इस बात का मलाल था कि भारत के ख़िलाफ़ मैच देखने के लिए 48 घंटे पहले तक सिर्फ़ 600 टिकट बिके थे.
तब उन्होंने अपने खेल मंत्री को आदेश दिया कि मैच के ज़्यादा से ज़्यादा टिकट सरकार ख़रीद कर क्लब और स्कूली बच्चों में बँटवाए ताकि उन्हें विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों को खेलते देखते हुए प्रेरित होने का मौक़ा मिले.
टीम इंडिया के लिए ये सिरीज़ मिडिल ऑर्डर में सूर्यकुमार यादव, संजू सैमसन और ईशान किशन के बीच तीन में से दो स्थान को पक्का करने की होगी.
इनमें सैमसन शुद्ध बल्लेबाज़ के तौर पर सूर्यकुमार यादव के साथ टकराएँगे, तो विकेटकीपर बल्लेबाज़ की भूमिका के लिए किशन के साथ.
आपको ये बताने की शायद ज़रूरत नहीं है कि श्रेयस अय्यर, केएल राहुल और ऋषभ पंत के फ़िट नहीं होने के चलते अचानक वर्ल्ड कप से पहले टीम इंडिया के लिए कुछ अहम स्थानों के लिए की खिलाड़ियों की दावेदारी बढ़ गई है.
वर्ल्ड कप में खेलने का सपना सबका होता है और टीम इंडिया में भी इतने दावेदार हो गए हैं.
इस दुविधा के बारे में जब कप्तान रोहित शर्मा से सवाल किया गया, तो उनका कहना था कि ये मुश्किल है लेकिन ये समझने की ज़रूरत है कि चोट किसी भी खिलाड़ी को कभी भी किसी समय आ सकती है और ज़रूरत इस बात कि है 11 की बजाए कम कम से कम 15 -20 खिलाड़ियों के विकल्प पर फ़ोकस रखा जाए.
चलते-चलते हमने रोहित से ये सवाल भी पूछ लिया कि विराट कोहली की फ़ॉर्म उनके लिए कितना मायने रखती है और क्या वो किसी वक़्त कोहली की लय से चिंचित थे या उनसे बात करने की कोशिश की.
रोहित ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में कहा कि वो इस सवाल का जवाब पहले भी दे चुके हैं और दोहराना चाहते हैं कि कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जिन्हें ये बताने की ज़रूरत नहीं पड़ती है कि उन्हें क्या करना है.
लेकिन, तेज़ गेंदबाज़ों में रोहित को शायद उमरान मलिक को ये बातने की ज़रूरत पड़े कि ये सिरीज़ उनके लिए कितनी अहम है.
आईपीएल में साधारण खेल के बावजूद कश्मीर के इस तेज़ गेंदबाज़ को टीम इंडिया में इसलिए जगह मिली है, क्योंकि रफ़्तार वाले एक शानदार गेंदबाज़ का विकल्प टीम इंडिया हर हाल में रखना चाहती है.
स्पिन गेंदबाज़ी डिपार्टमेंट में भी दो साथी युज़वेंद्र चहल और कुलदीप यादव के बीच टक्कर है. साल 2022 के बाद से यादव का खेल वन-डे क्रिकेट में कुलदीप के मुक़ाबले थोड़ा सा बेहतर रहा है, लेकिन आईपीएल में चहल ने दिखाया कि उनके तरकश में भी कई तीर हैं.
रवींद्र जडेजा को गेंदबाज़ के तौर पर विकेट बहुत ज़्यादा नहीं मिले हैं लेकिन ऑलराउंडर के तौर पर टीम इंडिया में वो हार्दिक पंड्या और शार्दुल ठाकुर के साथ हर मैच में खेलेंगे.
बुधवार को नेट प्रैक्टिस के दौरान अगर एक कोने पर कप्तान रोहित और कोच राहुल द्रविड़ आधे घंटे तक किसी मुदे पर विमर्श करते हुए तल्लीन थे, तो वहीं उनसे 4 मीटर की दूरी पर मुख्य चयनकर्ता अजित अगरकर और मुंबई के ही एक और चयनकर्ता सलिल अंकोला विराट कोहली के साथ क़रीब एक घंटे तक धूप में खड़े-खड़े बातचीत करते दिखे.
इन लोगों के बीच आपस में क्या बात हुई, ये तो पता नहीं, लेकिन इस बात का अदांज़ा लगाना मुश्किल नहीं है कि हर कोई इस सिरीज़ को वर्ल्ड कप की तैयारी को परखने का एक बढिया मौक़ा ही मान रहा हो.
वहीं वेस्टइंडीज़ की टीम के लिए शायद खोने को कुछ नहीं है.
लेकिन कोच डेरेन सैमी ने सुबह-सुबह अभ्यास सत्र के दौरान अपने सारे खिलाड़ियों को चेतावनी दी कि किस तरह से प्रधानमंत्री तक को उनकी टीम के खेल से मायूसी है.
सैमी अपने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हुए कह रहे थे कि तो क्या हुआ अगर आप वर्ल्ड कप नहीं खेल पा रहे हैं, लेकिन अगर वो इंडिया जैसी मज़बूत टीम को मात देने में कामयाब होते हैं, तो शायद लोगों को कुछ राहत मिले और वो आनंदित हो.
लेकिन, टीम इंडिया अगर इस सिरीज़ के दौरान एक भी मैच हारती है, तो उनकी सिरीज़ जीत पर जश्न की बजाए उस एक मैच के हारने पर सबसे ज़्यादा खिंचाई हो सकती है.
ऐसे में आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि रोहित शर्मा के पास जीतने के बाद बहुत ज़्यादा वाहवाही तो नहीं है, लेकिन हारने से दबाव काफ़ी बढ़ सकता है.