गांव के पटेल और पार्षद को गधे में बैठाकर श्मशान तक ले गए, बैलजोड़ी बनाकर की बुआई, गधों को पेट भर खिलाई गुलाब जामुन
आपने हंसी मजाक के समय एक कहावत तो जरूर सुनी होगी की “गधे गुलाब जामुन खा गए” लेकिन मालवा इलाके में इस कहावत को हंसी मजाक से नहीं बल्कि चिंता के समय साथ दिए जाने वाले मौके से जोड़ा जाता है।
समूचे मालवा इलाके में इन दिनों पैदा हो रहे अवर्षा के हालातों से यंहा के लोग काफी चिंता में पड़ गए हैं, और अब रूठे हुए इंद्र देवता को मनाने के लिए उन्होंने यहां टोने टोटके भी शुरू कर दिए हैं।
ग्राम चंद्रपुरा के किसानों और ग्रामीणों ने तीन दिन पहले एक टोना टोटका करते हुए गांव के पटेल और जन प्रतिनिधि को शमशान जाकर पहले तो गधे पर बैठ कर घुमाया और इसके बाद जैसे ही बरसात की रिमझिम फुहारे गिरी तो खुश हुए लोगो ने आधी रात के वक्त भगवान पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचकर उन्हीं गधों को गुलाब जामुन खिला दिए।
पुराने जमाने की एक कहावत बड़ी फेमस है कि “गधे गुलाब जामुन खा गए” लेकिन मालवा इलाके में उसी गधे को संकट के समय शिद्दत से याद किया जाता है। मंदसौर और आसपास के जिलों में पिछले 25 दिनों से अवर्षा के हालात हैं। फसलें बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है। ऐसे हालात में यहां के लोगों और व्यापारियों में भारी चिंता ही नजर आ रही है। रूठे हुए इंद्र को मनाने के लिए लोगों ने यहां टोने-टोटके शुरू कर दिए हैं।
तीन दिन पहले गुरुवार की रात यहां चंद्रपुरा के लोगों ने गोपनीय तरीके से एक टोना टोटका करते हुए गांव के पटेल और स्थानीय पार्षद शैलेंद्र गिरी गोस्वामी को गधे पर बैठकर श्मशान में घुमाया। इसके बाद उन्होंने गधों की बैलजोड़ी बनाकर श्मशान में ही फसल की बुवाई की। ऐसा माना जाता है कि शमशान को आखरी पड़ाव है और इंसानी जीवन का अंतिम स्थान रहता है। ऐसे हालात को अवर्षा में अंतिम समय जैसा ही तोला जाता है, कि अब अंत समय आ गया है इसके बाद इंसान को मरना ही है, तो लोग फिर उसी अंत समय से एक नई शुरूआत वहीं से करते हैं। लिहाजा वहां से किसान अपनी फसल की बुवाई कर गांव की ओर बढ़ता है तो वह अपने अंतिम समय से बचकर गांव की बस्ती की ओर आ जाता है। इस टोटके को पिछले कई सालों से यहां परंपरागत रूप से किया जाता रहा है। इन्ही हालात में लोगों ने पिछले गुरुवार की रात को ही ऐसा गोपनीय टोटका किया था, और शनिवार की रात जब रिमझिम फुहारे गिरी तो लोग उन दोनों गधो को लेकर भगवान पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचे और पूरा थाल भर कर उन्हें गुलाब जामुन खिला दिए ।
हालांकि यंहा अभी भी फसलों को तृप्त कर देने जैसी बारिश नहीं हुई है। लेकिन मानसून के दोबारा आगाज से लोगों में खुशी का माहौल है। स्थानीय पार्षद शैलेंद्र गिरी गोस्वामी ने कहा कि यह परंपरा उनके बाप दादाओ के जमाने से चली आ रही है। लिहाजा उन्होंने इसी का पालन करते हुए आधी रात के वक्त गधों को गुलाब जामुन खिलाएं। गांव के पटेल ने भी इस परंपरा का निर्वाह करते हुए इसे स्थानीय लोगों को आगे बढ़ाने की अपील की है। रविवार के दिन भी यहां हल्की-फुल्की बरसात हुई और फसलें लहलहाती नजर आ रही है । इससे किसानों और व्यापारियों में खुशी का माहौल नजर आ रहा है। पिछले 25 दिनों से अ वर्षा के हालात होने से लोगों में काफी चिंताएं बढ़ गई थी।