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सुरखी विधानसभा के रण में “हुकुम” मदद की आस के सहारे, गद्दी पर बैठाने वाले हाथों पर क्यों नही बन पा रहा भरोसा, काँटे के मुकाबले में ऊँट आखिर किस करवट बैठेगा, एवरीथिंग फेयर इन लव एंड वार की भयंकर बिसात को कैसे तोड़ पाएगा मंत्री खेमा.. षडयंत्रो, भीतरघातों और दगाबाजी के चंगुल में फंसी इस विधानसभा का मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है

Why can't trust be built on the hands who put you on the throne with the hope of help from 'Hukum' in the battle of Surkhi Assembly?

Shailendra Rajput by Shailendra Rajput
October 12, 2023
in देश, बात पते की, भारत, राजनीति, समाज, सागर
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सुरखी विधानसभा के रण में “हुकुम” मदद की आस के सहारे, गद्दी पर बैठाने वाले हाथों पर क्यों नही बन पा रहा भरोसा, काँटे के मुकाबले में ऊँट आखिर किस करवट बैठेगा, एवरीथिंग फेयर इन लव एंड वार की भयंकर बिसात को कैसे तोड़ पाएगा मंत्री खेमा.. षडयंत्रो, भीतरघातों और दगाबाजी के चंगुल में फंसी इस विधानसभा का मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है
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सुरखी विधानसभा के रण में “हुकुम” मदद की आस के सहारे, गद्दी पर बैठाने वाले हाथों पर क्यों नही बन पा रहा भरोसा, काँटे के मुकाबले में ऊँट आखिर किस करवट बैठेगा, एवरीथिंग फेयर इन लव एंड वार की भयंकर बिसात को कैसे तोड़ पाएगा मंत्री खेमा.. षडयंत्रो, भीतरघातों और दगाबाजी के चंगुल में फंसी इस विधानसभा का मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है

सागर जिले की सुरखी विधानसभा के शह और मात के होने वाले खेल में रसिया और यूक्रेन का युद्ध सामने आ जाता है। बेशक दोनों का नाता एक दूसरे से बिल्कुल भी नही है। इनके रण एकदम अलग हैं। पर बहुत सी जगहों पर रणनीतिकार की बिसात में आपको दोनों में समानताएं नजर आ जाएंगी।

रूस ने जब यूक्रेन पर हमला किया तब जानकारों के अधिकतर कयास झूठे साबित हुए। इस युद्ध के परिणाम में ज्यादातर का अनुमान कुछ महीने के भीतर तक आ जाने को लेकर था। सुरखी विधानसभा के पीछे छुपी ताक़तों को ठीक वैसे नजरअंदाज नही किया जा सकता जैसे यूक्रेन के पीछे बेहद ताकतवर अमेरिका, ब्रिटेन की भूमिका मुख्य तौर पर रही है ठीक उसी तरह इस विधानसभा के हालात देखे जा रहे हैं।

राजकुमार धनोरा को लेकर उनको मिल रहा समर्थन किसी से छुपा नहीं है। धनोरा द्वारा उपजे विरोध को मंत्री गोविंद सिंह सही से समझ नही पाए। सुरखी की नब्ज जानने वाले इसको प्रीप्लान का हिस्सा बता रहे हैं। मंत्री के रसूख के आगे राजकुमार धनोरा कमतर हैं। एक व्यक्ति जिसके परिवार को मंत्री भूपेन्द्र सिंह के इर्दगिर्द चलता देखा गया वो अचानक से इतना आक्रामक कैसे हुआ। इस सबको लेकर मंत्री गोविंद सिंह से बड़ी चूक हुई है।

एक बड़े अखवार ने जब इस सबकी पुष्टि करते हुए खबर प्रकाशित की तब मध्यप्रदेश की राजनैतिक हलकों में भूजाल सा आ गया था। आरोप के घेरे में मंत्री भूपेन्द्र सिंह का नाम सबसे ऊपर था। अखवार ने तो यह तक छापा था कि मंत्री गोविंद सिंह की अगुवाई में मंत्री गोपाल भार्गव , विधायक प्रदीप लारिया और जिलाध्यक्ष गौरव सिरोठिया दिल्ली हाई कमान सहित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ शिकायतों की टोकरियां भर-भरकर ले गए हैं। सबने मिलकर सामुहिक इस्तीफे तक की धमकी दे दी थी।

इस जगह यूक्रेन युद्ध की चर्चा करें तो रूस को लग रहा था कि हमने जिस तरह कुछ हफ्तों के भीतर डोनेट्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और ज़ापोरिज़िया क्षेत्रों को कब्जा लिया ठीक वैसे ही कुछ दिन में पूरा यूक्रेन हमारे हाथों में आ जाएगा। सुरखी में भी यहीं हुआ। जब राजकुमार सिंह धनोरा को बीजेपी किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष पद से अलग किया गया तब गोविंद सिंह को लगा कि और विरोधियों के साथ धनोरा के लिए यह एक बड़ा सबब और चेतावनी साबित होगी। इस भ्रम की स्थिति में जब पलटवार हुआ। जिसकी कल्पना गोविंद सिंह राजपूत ने कभी नही की थी।

राजकुमार के विरोध ने क्षेत्र में घी में आग डालने जैसा काम किया। कुछ दिनों के बाद अलग-अलग अंतर से एक- एक करके बहुत सी जगहों पर मंत्री के खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगते हैं। आरोपों में लोगों पर झूठे मामले, राजस्व और परिवहन में भ्रष्टाचार, काली कमाई कर बेतहाशा अकूत संपत्ति बना लेना, जमीन विवाद से जुड़े कई मुद्दे, मन्दिर विवाद , मानसिंह पटेल की गुमशुदगी से जुड़ा विवाद, मृतक कृतेश को लेकर एक जाति का विरोध करना, होटल रॉयल पैलेस के आसपास कब्जाई जमीन विवाद , ज्ञानोदय कंट्रक्शन की गुडवत्ता को लेकर उठे सवाल हों या इनके भाई हीरा सिंह से जुड़े जिला पंचायत या भाई भतीजावाद से जुड़े आरोपों जैसे अन्य मुद्दों पर मंत्री खेमा को आड़े हाथों लिया जाने लगा। इन सभी को रोकने के प्रयासों का विपरीत असर होता चला गया। मंत्री और इनके सलाहकारों से बहुत बड़ी गलती हुई। धीरे-धीरे हालात इस तरह के बने कि मंत्री गोविंद सिंह की छवि को उनके विरोधियों द्वारा तानाशाह के रूप में प्रस्तुत किया जाने लगता है।

धनोरा और उनके परिवार के साथ दर्ज मामलों में जैसे-जैसे इजाफा होता गया। साथ मे उनके समर्थकों पर कार्यवाहियां होने के आरोप के साथ विधानसभा के बिगड़े हालातों में हर बार एक बड़ा तपका मंत्री गोविंद सिंह से नाराज होता देखा गया। सुधीर गुट के नीरज शर्मा जो मंत्री खेमा के खास सिपहसालार में गिने जाने लगे थे वो विरोध का बिगुल फूंककर पाला बदल कांग्रेस से टिकिट की दावेदारी करने लगते हैं। इन सबके बीच उनका खतरा ज्यादा बना हुआ है जो दबाव के चलते खामोश हैं और भीतरघात कर सीधा नुकसान पहुंचाने में लगे हुए हैं।

सुरखी विधानसभा से जुड़े लोग जमीन और हकीकत को दर्शाते आंखों देखा हाल सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए लोगों तक पहुंचाने लगते हैं। हर हाथों में पहुंच चुके एंड्रॉइड मोबाइल के जरिए विधानसभा की चर्चा चाय नुक्कड़, बाजारों और गांव कस्बों में होने लगती है। जो धीरे-धीरे करके हर घर और जन-जन तक मे चर्चा का विषय बन जाती है। इन सब मे मंत्री गोविंद सिंह लोगों द्वारा कटघरे में खड़े किए जाने लगे हैं। आज सुरखी में बनते बिगड़ते हालातों का सभी अहसास करके चल रहे हैं। धनोरा द्वारा खुलकर किए गए विरोध से और लोगों को बल मिला है। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाला इस विधानसभा का हर चौथा व्यक्ति गोविंद सिंह का खुलकर विरोध करते देखा जा सकता है। आदर्श आचार संहिता का क्षेत्रवासियों को जैसे इंतजार था। अब ऐसे मुद्दों के साथ और ज्यादा लोग इस पर खुलकर विरोध करते देखे जा रहे हैं।

मंत्री खेमा द्वारा मन लुभावने जातिगत सम्मेलन और कई तरह के आयोजनों का भी कुछ खास लाभ होता नही दिख रहा है। शिवराज सरकार के कार्यकाल में सबसे ज्यादा विरोध के तौर पर उनके मंत्रियों द्वारा पद और पॉवर के गलत उपयोग का आया है। जिसमे सबसे ज्यादा चर्चा सिंधिया खेमे से जुड़े मंत्रियों के देखे गए हैं। भ्रष्टाचार से ज्यादा क्षेत्र की जनता को परेशान किए जाने के मामलों ने तूल पकड़ा है जो समीकरण साधने के दौरान में अमित शाह और सीएम शिवराज सिंह को बड़ी परेशानी का सबब बनकर सामने आ रहे हैं।

सुरखी विधानसभा में मंत्री भूपेंद्र सिंह की बड़ी वोट बैंक के साथ राज्य मंत्री खनिज विकास निगम के उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह मोकलपुर जिनके लिए क्षेत्र की जनता का हजारों की संख्या में समर्थन प्राप्त रहता है। ये ऐसे नाम हैं जो सुरखी विधानसभा के चुनाव में गेम चेंजर की भूमिका निभाते आए हैं। राजेन्द्र सिंह ने अपनी हार का बदला पूर्व विधायक पारुल साहू का साथ देकर चुकाया था। पारुल की जीत में आज भी सबसे बड़े योगदान में राजेंद्र सिंह मोकलपुर का नाम आता है। अभी ये दिग्गज बीजेपी पार्टी को सर्वोपरि रखकर मंत्री गोविंद सिंह का साथ देने की बात कह रहे हैं। रिवर्स मोड़ पर जाएं तो इन सब पर विश्वास कर लेना किसी के लिए सम्भव नही हो सकता है। वहीं खुले तौर पर एक नाम जो अपनी समाज मे बड़ी पकड़ रखकर चलते हैं, इनका सुरखी विधानसभा में बड़ा वोट बैंक माना जाता है। ऐसे सुधीर यादव की नाराजगी गोविंद सिंह को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है।

सुरखी विधानसभा में एक मुफीद चेहरे के रूप में पहचान बना चुके राजकुमार सिंह धनोरा इस विधानसभा से कांग्रेस के सबसे प्रबल उम्मीदवार के रूप में उभरे हैं। धनोरा परिवार के मंत्री भूपेन्द्र सिंह परिवार से बहुत गहरे रिश्ते जुड़े हुए हैं।

एक नाम जो भारतीय जनता पार्टी से कांग्रेस में आए नीरज शर्मा का है। जो मंत्री खेमा से खफा होकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं। इनका राहतगढ़ ब्लॉक में गहरा प्रभाव माना जाता है। टिकिट की दौड़ में खड़े धनोरा और शर्मा पार्टी के निर्णय को शिरोधार्य मानकर पूरी विधानसभा में कांग्रेस को एकजुट कर मंत्री गोविंद सिंह को हराने की बात कह रहे हैं।

यूक्रेन युद्ध और उसकी समानता पर आते हैं। यह वह जंग है जिसका सीधे तौर पर अमेरिका से कोई सरोकार नही है। यह लड़ाई नम्बर 1 की कुर्सी की है। रूस यह जंग जीतता है तो विश्व का राजा अमेरिका नही वह कहलाने लगता। रूस को कमजोर करने के लिए अमेरिका यूक्रेन को नाटो में शामिल करने जा रहा था। रूस को लगा वह चारों तरफ से अमेरिका के बनाए जाल में फंस रहा है। उसने यूक्रेन पर हमला कर दिया। अमेरिका ने इसका भी लाभ उठा लिया। आज रूस अपना बहुत कुछ गवा कर यह जंग लड़ रहा है।

जैसे रूस अकेला है। वो ताकतवर है फिर भी इस जंग में कमजोर साबित हो रहा है। ठीक वैसे ही हालात सुरखी विधानसभा के हैं। यूक्रेन कमजोर है लेकिन उसके पीछे बड़ी ताकतें पूरी जिम्मेदारी से खड़ी है। अगर ऐसा सुरखी में होता है तो ताकतवर बेबस हो जाएगा। जानकारों की माने तो शिवराज खेमा और सिंधिया खेमा की अंदरूनी जंग का ही कारण है जो सारे फैसले दिल्ली हाई कमान लेकर चल रहा है। चुनाव संगठन और कार्यकर्ताओं की दम पर जीते जाते हैं। भारतीय जनता पार्टी की योजनाओं ने मध्यप्रदेश की जनता के दिलों मे एक अलग जगह बनाई है। योजनाओं के साथ क्षेत्र के विकास का दारोमदार उसके प्रतिनिधि पर निर्भर करता है। रहली और खुरई विधानसभा में बीजेपी उम्मीदवार के जीत में बड़ा योगदान क्षेत्र के विकास को माना जाएगा। सुरखी विधानसभा विकास से कोसो दूर नजर आती है। यहां क्षेत्र की जनता को मंत्री होने का ज्यादा लाभ नही मिला है। जिसका वोट बैंक है वो या तो मंत्री से नाराज चल रहे हैं। जो नाराज होकर कांग्रेस में शामिल हुए हैं उन्हें लोगों का समर्थन मिलता दिख रहा है।

फ़िल्म जेलर में रजनीकांत अपने मिशन को बगैर साथियो के बगैर पूरा करने में सक्षम नही था। इस फ़िल्म में देखा गया उनके सहायक रजनीकांत से भी ताकतवर हैं। रजनीकांत ने यह जंग उनके साथ मिलकर जीती ऐसा फ़िल्म में दिखाया गया है। सुरखी के रण में “हुकुम” कैसे सबको एकजुट कर फतह कर पाते हैं ये देखना रोचक रहेगा। परिस्थितियां प्रतिकूल होने पर कभी – कभी हारने वालों की भी जीत हो जाती है। अंतिम परिणाम से ही किसी की जीत का पता चल पाता है।

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