शिवराज बगैर एमपी के चौकाने वाले रुझान आए सामने, मामा की घटती लोकप्रियता को भांजे-भांजियों ने नकारा, मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पार्टी नही लेगी कोई जोखिम
इस बार इंतजार करना सही होगा। अभी से कांग्रेस पार्टी को लेकर मध्यप्रदेश में पूर्ण बहुमत से आ जाना कहना सही अनुमान नही माना जाएगा। एक कुशल राजनीतिक कभी इसको लेकर विश्वास से नही कहेगा। जो राजनीति की पाठशाला मे पढ़ना शुरू किए हैं उनके लिए अवश्य कांग्रेस सरकार आना लग रही है। आप इसको ऐसे भी समझ सकते हैं। राजतंत्र में जिसका शासन होता था। वह कब तक रहा। जिसने ज्यादा समय तक राज किया उसको ज्यादा अनुभव का लाभ मिलता था। वही समीकरण गणतंत्र के होते हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मध्यप्रदेश की जनता को जितना समझ पाए हैं उससे आगे जाना किसी दूसरे राजनेता के लिए फिलहाल संभव नही दिख रहा है। बीजेपी का आलाकमान इसको लेकर गहन मंत्रणा करने में लगा है। यह चुनाव बेहद रोचक होने वाला है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर लिए गए निर्णय गलत साबित हो रहे हैं। इसका कारण बदलते समीकरण को माना जा रहा है। विधानसभा चुनावों की दस्तक के पहले लोगों की राय ली गई तब शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री के तौर जनता देखना नही चाह रही थी। उस समय का सर्वे एकदम सही था। आलाकमान ने इस पर सोचसमझकर निर्णय लिया। उन्होंने मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए केंद्रीय मंत्री , राष्ट्रीय महासचिव को मैदान में उतार दिया। जब मध्यप्रदेश की जनता में संदेश गया कि अब बीजेपी से शिवराज मामा मुख्यमंत्री का चेहरा नही होंगे। पहले तो इस पर कोई प्रतिक्रिया नही देखी गई। उम्मीदवार के तौर पर उतरे प्रदेश में जिनके चेहरों को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना गया उससे शिवराज सिंह की तुलना की जाने लगती है। जब बीजेपी की सेल द्वारा रिपोर्ट दी गई। हाईकमान यह देखकर हैरान था कि थोड़े समय मे ही लोगों का मत शिवराज सिंह की तरफ फिर से जाने लगा है।
मिली रिपोर्ट के बाद शिवराज सिंह को दिल्ली बुलाया जाता है। इस पर मंत्रणा होती है। शिवराज केंद्र के सभी निर्णयों की लेकर पहले ही स्वीकारोक्ति दे चुके हैं। मिले रूझानों के बाद सूत्र तो यहां तो यहां तक बता रहे हैं कि मध्यप्रदेश से शिवराज के नाम को नीचे करने में हाई कमान की सोची समझी रणनीति है। वो शिवराज की भरपाई के अहसास को जनता के सामने जताना चाह रहे हैं। हाईकमान इसे और अच्छे से समझना चाहता है। अभी तक जो भी सामने आया है उसे देखकर शिवराज सिंह के नाम का पार्टी बिल्कुल भी जोखिम लेकर नही चलने वाली है। सबसे अच्छे और भरोसेमंद चेहरे के तौर पर वो शीर्ष पर काबिज हैं।
कांग्रेस द्वारा जारी लिस्ट के बाद सोशल मीडिया पर ट्रेंड चल रहा है कि बीजेपी की कांग्रेस से जीत की डील हो गई है। बीच मे कांग्रेस को लेकर जो लहर देखी जा रही थी दूसरी लिस्ट जारी होने के बाद उसका ग्राफ तेजी से नीचे की ओर जा रहा है। कमलनाथ की तुलना में शिवराज सिंह का चेहरा सदा से आगे रहा रहा है। चुनाव के अंतिम पड़ाव तक बीजेपी की तैयारी पुख्ता है। वहीं कांग्रेस खुद को इकठ्ठा करने की कवायत करते दिख रही है। केंद्र द्वारा मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार रहते मिलने वाले समर्थन को जनता भली भांति जानती है। मध्यप्रदेश में अभी से चुनाव परिणाम को लेकर निर्णय तक जाना जल्दबाजी कही जाएगी।