सागर जिला में गैस रिफ़िलिंग का अवैध कारोबार किसी से छिपा नही है। इस पर कार्रवाई करने के लिए खाद्य विभाग कोई सघन अभियान नही चलाता । गैस रिफिलिंग का अवैध कारोबार करने वालों के सबंधित थाना क्षेत्रों और खाद्य विभागों से मिलीभगत कर इसे चलाने के आरोप लगते रहते हैं। अगर मिलीभगत है तो यह बड़ा दुर्भाग्य है। बजह जो भी हो पर इस अवैध कारोबार करने वालों के हौंसले बुलंद हैं। जो कई वर्षों से लगातार बेखौफ होकर चलाया जा रहा है।
चितौरा में अवैध गैस रिफिलिंग का सबसे बड़ा कारोबार :
सागर जिला से होकर गुजरने वाले NH 44 राष्ट्रीय राजमार्ग ललितपुर से लेकर नागपुर सीमा के 500 – 600 किलोमीटर के सड़क मार्ग में गैस रिफिलिंग का सबसे बड़ा कारोबार सिविल लाइन थाना अंतर्गत आने वाले चितौरा गांव में देखने को मिल जाएगा। यहां खुलेआम धड़ल्ले से यह अवैध कारोबार फल – फूल रहा है। इसके चलते पिछले वर्ष इस कारोबार का मुख्य सरगना माने जाने वाले जिस पर अवैध गैस रिफिलिंग के कई मामले बन चुके हैं उस आशीष जैन और जिनेन्द्र जैन का घर और दुकान भयंकर आग की चपेट में आ गया था। जिसे फायर बिर्गेड की कई गाड़ियों ने मिलकर काबू पाया था। सुरक्षा के लिहाज से सिलेंडर को रिफिल कराना बेहद खतरनाक माना जाता है। इतना ही नहीं गैर कानूनी होने के साथ ही सरकार के राजस्व को इससे चूना लगाने का काम किया जाता है। गैस रिफिलिंग के लिए दर्जनों घरेलू सिलेंडरों को ब्लैक में लेकर उन्हें गुप्त तरीके से स्टोर करके रखा जाता है। ऐसे सिलेंडरों की कई बार धर पकड़ और जब्ती हुई है। ग्राम चितौरा के ग्रामीण इस सबके चलते भयभीत बने रहते हैं। इस सबको रोकने के लिए उनके द्वारा इसकी जानकारी पुलिस थाना और खाद्य विभाग को दी जाती रहती है जिस पर कार्रवाई के नाम पर खाना पूति कर ली जाती है। ग्रामीणों का आरोप है इस लाखों के अवैध कारोबार के संचालन के लिए बाकायदा महीना कमीशन के रूप में दिया जाता है जिस कारण यहां खुलेआम बेखौफ यह अवैध कारोबार लंबे समय से चलता आ रहा है।
कैसे होती है गैस रिफिलिंग : इसके लिए घरेलू गैस सिलेंडर से छोटे सिलेंडर में गैस भरने के लिए एक “टी” का इस्तेमाल किया जाता है। बड़े सिलेंडर से टी की मदद से सीधे छोटे सिलेंडर में गैस रिफिलिंग की जाती है। गैस रिफिलिंग होने में 5-10 मिनिट का समय लगता है। दोनों सिलेंडर में लगे बॉशल या गैस भरने वाली टी डिस्टर्ब हो जाए तब इस स्थिति में आसपास से कहीं आग का संपर्क हो जाने पर बड़ी दुर्घटना गैस सिलेंडर फटने का खतरा रहता है। चितौरा गांव में सड़क से लगी दुकानों में जहां समीपस्थ दर्जनों लोडेड ट्रक, ड्राइबर और अन्य ग्राहकों की इन किराना और सब्जी दुकानों में भारी भीड़ बनी रहती है ठीक उसके बगल से सिलेंडरों में गैस रिफिलिंग होती रहती है। एक छोटी सी चूक इस जगह कभी भी बड़ी दुर्घटना का निमंत्रण हो सकता है।
कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति : जानकारी के लिए बता दें राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (NH 44) भारत का सबसे लंबा राजमार्ग है। यह जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से शुरू होकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक फैला है। इसकी कुल लंबाई 3,745 किलोमीटर है। यह राजमार्ग कई राज्यों से होकर गुज़रता है, जिनमें जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, और तमिलनाडु शामिल हैं। गैस रिफिलिंग होकर इन छोटे गैस सिलेंडर का अधिकतर इस्तेमाल NH 44 के इस लंबे रुट से सफर करने वाले ट्रक वाहन चालकों द्वारा खाना पकाने के लिए किया जाता है। ग्रामीणों के बताए अनुसार एक अनुमान के मुताबिक एक दिन में यहां से घरेलू उपयोग से छोटे 200 से 300 सिलेंडरों में अवैध तरीके से गैस रिफिलिंग करके दिया जाता है। ग्राम चितौरा से गुजरने पर आपको फॉर लाइन से लगी तमाम दुकानों पर दर्जनों छोटे खुले में सिलेंडर रखे मिल जाएंगे। जिन दुकानों पर यह सिलेंडर बिक्री के लिए रखे रहते हैं प्रायः वे ही अवैध रूप से गैस रिफिलिंग का काम करते हैं। इसको घरों में छुपकर साथ ही आप कई दुकानदारों को खुले तौर पर गैस रिफिलिंग करते देख सकते हैं। ऐसा संभव नही कि गैस रिफिलिंग की जानकारी खाद्य विभाग और सिविल लाइन थाना पुलिस को नही रहती होगी। यह अवैध कार्य खुलेआम बेधड़क कई वर्षों से सतत चल रहा है। जहां प्रतिदिन अवैध रूप से इतने बड़े रूप में रिफिलिंग होती है वहां 4-5 महीने में अदद नामात्र की कार्रवाई को सिर्फ खानापूर्ति मानकर चला जा सकता है।