सागर – मंदिर विवाद की गूंज सागर से निकलकर प्रदेश और देश मे चारों तरफ सुनाई दी है। पिछले हफ्ते सागर जिले से यह खबर मीडिया संस्थानों में छाई रही। धर्म के प्रति कट्टरपंथी सोच रखने वाले तत्वों ने पूरे शहर का माहौल बिगाड़ने का काम किया है। कल इसको लेकर हिन्दू समाज और जैन समाज का नगर विधायक शैलेन्द्र जैन और प्रशासन ने मिलकर आपसी समझौता कराया है। इसके बाद दोनो पक्षों ने लोगों से शांति की अपील की है। इस बीच अचानक रात 9 बजे के करीब मोती नगर थाना अंतर्गत गोला कुंआ और काका गंज स्थित जैन स्मारक और मंदिर में कुछ अपाराजिक तत्वों ने अचानक धावा बोल दिया। साथ ही उसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। बात आती है कि जब समझौता हो गया फिर यह वारदात कैसे हुई इसके पीछे कौंन है और इसका अंत किस तरह हो सकता है।
मैं यहां उस मुख्य जड़ को बताने जा रहा हूँ जिसमे इसके आगे का विवाद और समझौता सब कुछ छिपा हुआ हो सकता है। सागर में हुई कटरबाजी की घटनाओं का सबको ज्ञात है इसके पीछे कौंन हैं यह बात सभी जानते हैं। पुलिस ने इसे रोकने के तमाम प्रयास किये पर आज भी यह कठिन चुनौती बनकर सबके सामने खड़ी हुई है। इन घटनाओं में नाबालिग बच्चों की संख्या ज्यादा रहती है। वारदातों के दौरान आरोपियों के शराब के साथ अन्य नशीले दवाइयों और अन्य सेवन होना पाया गया है। दोनो तरफ से हुए शांति समझौते में इनके बीच से मध्यस्थता करने आवश्यकता है।
कल हुए समझौते के बाद स्वर्णकार जड़िया सोनी समाज और जैन समाज से जुड़े व्यक्ति शांति के पक्ष्य में देखे जा रहे हैं। वह इसकी अपील भी करते देखे जा रहे हैं। घटना के आरोपी जैन समाज से जुड़े वह अपराजिक तत्वों जिनको शायद इसका आभास नही हुआ होगा। न यह गलती कोई भूलकर भी नही करता। जिस पर पुलिस और प्रशासन ने पूरी कोशिश की। कुछ हद तक उस पर काबू भी कर लिया गया था, आज वह चिंगारी फिर जल उठी है। नशे का आदि वह वर्ग इस मामले को लेकर कहीं न कहीं से अपने आपको आहत मान रहा है। रात को हुए हमले में कटरबाजी की हुई घटनाओं से जुड़े उन लड़को के नाम निकलकर आएंगे।
इन वारदातों को अंजाम देने वालों को लेकर यह हालात हैं कि इनके आगे पुराने अपराध जगत से जुड़े लोग भी भयंकर भय खाते हैं। यह जब नशे में नही रहते है। तब इनका बोलने बात करने का रवैया शालीनता भरा रहता है। उस समय देखने पर आपको कोई दोष नजर नही आएगा। हालात नशे के बाद बिगड़ते हैं। जिसके बाद यह भय मुक्त हो जाया करते हैं। उस हालत में यह न किसी को पहचानते हैं न इनको किसी बात का कोई भय या डर अपने अंदर रह जाता है। पुलिस प्रशासन को इनके बीच समझाइश देनी पड़ेगी। अगर वह समझ जाते हैं तो नगर में शांति स्वतः आ जाएगी। क्योकि अब डर इस बात का रहेगा कि इनके चलते दूसरे निर्दोष किसी घटना का शिकार न हो जाएं।