बड़े भाई से लड़ने छोटा भाई पत्नी को साथ लेकर मैदान में उतरा, पद और बर्चस्व की लड़ाई में रिश्ते को भुलाया, शैलेन्द्र जैन की लोकप्रियता का काट ढूंढने में लगे सुनील जैन
सागर विधानसभा सीट में छोटे भाई पत्नी को लेकर बड़े भाई के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ाने मैदान मे उतरे हैं। इस सीट से बीजेपी की ओर से शैलेंद्र जैन और कांग्रेस से निधि सुनील जैन को मौका मिला है। भाई सुनील परिवार की समझाइश पर भी नही माने हैं। मेयर चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। शैलेन्द्र जैन की लोकप्रियता को भेदने की सुनील जैन हर तरफ से रणनीति बनाने में लगे हैं। भाइयों के द्वंद पर प्रदेशभर के राजनीतिज्ञों ने नजर बनाकर रखी हुई है।
क्या पता था एक माँ-बाप की संतान कभी एक दूसरे के दुश्मन बन जाएंगे। प्रतिस्पर्धा जैसी भी हो रिश्तों में एक बार गांठ पड़ जाने पर उसका दोबारा सही हो पाना मुश्किल होता है। परिवार की राजनीतिक प्रतिद्वंदता के चलते कई बार रक्तपात तक होते देखे गए हैं। अहम की लड़ाई के चलते सैकड़ों घर टूटते देखे गए हैं। कल सागर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर निधि सुनील जैन के नाम आ जाने के बाद दो भाइयों की तकरार जाकर खुले मैदान पर आ पहुंची है। शैलेन्द्र जैन ने अपने बड़े भाई का फर्ज निभाते हुए छोटे भाई की सभी ख्वाहिश का ख्याल रखा है। वो सुनील के हर सुख -दुख में साथ खड़े नजर आए हैं। जब छोटे भाई के त्याग की बारी आई वो सबकुछ भूलकर बड़े भाई के सामने खड़े हो जाते हैं।
ढोलक परिवार को करीब से जानने वाले बताते हैं। विधायक शैलेन्द्र जैन ने अपनी तरफ से सारी कोसिस की। बाबजूद सुनील जैन नही मानते हैं। ठीक इसी तरह सागर में मेयर चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने आगे जाकर भाइयों के तकरार को लेकर चेताया था। अलग पार्टियों में होने के बाद जरूरत पड़ने पर शैलेन्द्र जैन ने कभी अहसास नही होने दिया कि वो सागर विधायक है। जहां भी लगा वो छोटे भाई सुनील जैन के लिए हरदम खड़े नजर आए।
जब भारतीय जनता पार्टी से संगीता सुशील तिवारी का सामना निधि सुनील जैन से होना तय होता है। उस समय शैलेन्द्र जैन पर पार्टी को लेकर सबसे ज्यादा दबाव था। बीजेपी से जुड़े लोग हाईकमान तक शैलेन्द्र जैन द्वारा पीछे से जाकर भाई सुनील जैन की मदद करने की शिकायत कर रहे थे। उस समय सागर की राजनीति में उन्हें सबसे ज्यादा घेरा जा रहा था। शैलेन्द्र जैन इन आरोपों को लेकर बेहद परेशान रहते थे। जब इस बात को लेकर परिवार के लोगों ने सुनील जैन को बताया उन्होंने उल्टा दोष अपने भाई पर लगाना शुरू कर दिया। उधर बीजेपी के मेयर प्रत्याशी के प्रचार को लेकर उन पर दबाब बढ़ता जा रहा था। एक बार परिस्थिति यहां तक बन गई थी कि उन्हें पार्टी से इस्तीफे तक कि मांग उठने लगी थीं। इन सबके बीच कांग्रेस से जुड़े विरोधियों को उनके खिलाफ माहौल बनाने का मौका मिल गया था।
मेयर चुनाव को लेकर शैलेन्द्र जैन परिवार और शुभचिंतकों के सामने जाते हैं। उन्होंने भाई को समझाईस देने के सभी प्रयत्नों के बारे में सबको अवगत कराया। जब सुनील जैन नही माने और उन्होंने चुनाव मैदान में कुंदने का फैसला लेते हैं। जब इन सब विषयों पर गहरा मंथन होता है। आखिर जाकर निर्णय लिया जाता है कि जिस भारतीय जनता पार्टी ने आपको मान-सम्मान और पद से नवाजा है। उसका फर्ज निभाइए। इसके बाद शैलेन्द्र जैन बीजेपी उम्मीदवार के लिए खुलकर प्रचार- प्रसार करने मैदान में आ जाते हैं। सागर विधायक से बहू के चुनाव मैदान में उतरने के कई बार सवाल किए जाते हैं। उन्होंने पार्टी को अपनी माँ के समान मानकर उसकी सत्यनिष्ठा और कर्म के साथ निभाने का वचन जताया।
मंत्री भूपेन्द्र सिंह इसी समय का इंतजार कर रहे थे। वो सुशील तिवारी को सारे चुनाव प्रबंधन शैलेन्द्र जैन को सौंपने के निर्देश देते हैं। देखते ही देखते सागर नगर की सारी भाजपा इकठ्ठा हो जाती है। बूथ को मजबूत करने का काम शुरू हो जाता है। मेयर चुनाव के दौरान स्मार्ट सिटी द्वारा जारी अधूरे निर्माण कार्यों को लेकर जनता में बीजेपी को लेकर रोष व्याप्त था। शैलेन्द्र जैन की सतत सक्रियता से उसे भुलाने में कामयाबी मिल जाती है।
चुनाव परिणाम सामने आते हैं। बीजेपी उम्मीदवार संगीता सुशील तिवारी भारी बहुमतों से विजयी होती हैं। सागर से बीजेपी के पार्षद और कांग्रेस के चुनकर आ जाते हैं। इस चुनाव में निधि सुनील जैन को करारी हार का सामना करना पड़ता है।
इस चुनाव के बाद वो अपने शुभचिंतकों द्वारा सुनील जैन को भारतीय जनता पार्टी में आने का न्यौता देते हैं। बड़े भाई की बीजेपी में बढ़ती लोकप्रियता के बाद सुनील जैन ने कांग्रेस का दामन थामा था। तब इनका नाम शैलेन्द्र जैन के भाई के तौर पर लिया जाता था। जिसका लाभ उन्हें आगे जाकर मिलता भी है। वो कांग्रेस लहर में देवरी से 1993 में विधायक भी चुन लिए जाते हैं। जिसका लाभ वो आगे जाकर नही ले पाए। दूसरी बार उनके टिकिट कटने के बाद बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं जिसके बाद कांग्रेस पार्टी उनसे किनारा कर लेती है।
शैलेन्द्र जैन का हर घर से संवाद, क्षेत्र के सभी सुख- दुख में खड़े होकर चलना, नगर के विकास का खाका तैयार करके चलना यह सब वजहें हैं वो 3 बार से सागर विधानसभा सीट जीतते आए हैं।
आज दो सगे भाई आमने-सामने आ गए हैं। इस टकराव को लेकर शैलेन्द्र जैन ने कभी सोचा भी न था। पूरा ढोलक परिवार इसको लेकर चिंतित हैं। दो भाइयों की राजनीतिक और अहम की इस प्रतिस्पर्धा का आखिर हस्र क्या होगा। शैलेन्द्र जैन की लोकप्रियता के तोड़ को सुनील जैन आखिर कैसे भेद पाएंगे, लोगो के मन मे कई सवाल हैं। आने वाले समय मे यह सब देखना दिलचस्प और रोचक होने वाला है।