विपक्ष EVM मशीन को लेकर हुआ हमलावर, ‘हथियार उठाने’ और “खून की नदियां बहाने“ जैसे आपत्तिजनक बयान आए सामने
5 राज्यों में संपन्न हुए चुनाव में 3 राज्यों में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है। शेष एक कांग्रेस पार्टी और मिजोरम में जेडपीएम ने जीत हासिल की है। मध्यप्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ की करारी हार को लेकर पार्टी के मंथन के बजाय कांग्रेस पार्टी अब इसका ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने लगी है। यह पहली बार नही है, कांग्रेस और बीजेपी के विपक्षी दल का यह पुराना अलाप रहा है।
ऐसा कोई विषय जहां देश की जनता के प्रति नकारात्मक भावों का समावेश दिखता हो। उससे सभी दलों को बचकर चलना चाहिए। भारत और ऑस्ट्रेलिया विश्वकप में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हार का कारण ढहराया जाता है। इस दौरान विपक्ष उन्हें पनोति शब्द लेकर घेरने की कोसिस करता है। इसका जिक्र स्वयं राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा द्वारा सुना गया।
विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री को घेरने के अभी तक के प्रयासों को देखें तो उन्हें इस मामले में निराशा ही हाथ लगी है। हाँ पर ये जरूर होता है। बीजेपी को प्रधानमंत्री जैसे गरिमा भरे पद को नीचा दिखाने के प्रयासों को इनकी हकीकत और विपक्ष की रीति -नीति सबके सामने रखने में सफलता मिल जाती है।
ईवीएम एक स्टैंड अलोन मशीन होती हैं, इससे किसी भी तरह का कोई नेटवर्क नहीं जुड़ा होता है। चुनाव आयोग के मुताबिक, ये मशीन किसी कंप्यूटर से कंट्रोल नहीं होती हैं। ईवीएम में डेटा के लिए फ्रीक्वेंसी रिसीवर या डिकोडर नहीं होता है। वोटिंग के बाद इन्हें सीलबंद कर दिया जाता है। इसकी कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी यानी रिटर्निंग ऑफिसर (RO) के पास होती है। EVM के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) भी आता है। जिसमें से एक पर्ची निकलती है। इस पर्ची में जिस कैंडिडेट को वोट डाला गया है उसकी तस्वीर और चुनाव चिन्ह दिखता है। इससे आपको पता चल जाता है कि आपका जहां बोट डालना चाहते थे वहीं डला है। इसके बाबजूद जनता को भ्रमित करने का काम किया जाता है।
अभी हालिया एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ईवीएम राग छेड़ दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि चिप लगी कोई भी मशीन हैक की जा सकती है। इसलिए वह वर्ष 2003 से ईवीएम से मतदान कराने का विरोध करते आ रहे हैं। उनके सुर में सुर मिलाते हुए तृणमूल कांग्रेस, बसपा, भाकपा समेत कई विपक्षी दलों ने ईवीएम में गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगाया है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ईवीएम पर लगाए जा रहे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ईवीएम पर लगाए गए यह आरोप कोई नई बात नहीं है। विपक्ष चुनाव हारने के बाद ही ऐसे सवाल उठाता है। आखिर विपक्ष कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना विधानसभा की जीत पर सवाल क्यों नहीं उठाता है। जब वह जीतते हैं तब सब कुछ ठीक है। जब वह हारते हैं ईवीएम पर सवाल उठाने लगते हैं। सिंह ने कहा कि जनता उन्हें वोट क्यों नहीं करती यह जानने की कोशिश के बजाय वह ईवीएम पर निशाना साधते रहते हैं।
अमित शाह ने अपने ट्वीट में कहा कि कुछ विपक्षी दल चुनाव परिणाम अनुकूल न आने पर ‘हथियार उठाने’ और “खून की नदियां बहाने“ जैसे आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं। विपक्ष बताए कि ऐसे हिंसात्मक और अलोकतांत्रिक बयान के द्वारा वह किसे चुनौती दे रहा है? विपक्ष पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा, ईवीएम का विरोध देश की जनता के जनादेश का अनादर है। हार से बौखलाई यह 22 पार्टियां देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवालिया निशान उठाकर विश्व में देश और अपने लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रही हैं।