शहर के बाघराज स्थित पॉश कॉलोनी मानी जाने वाली देसाई रेसीडेंसी में समस्याओं का अंबार है। सर्वसुविधा युक्त आशियाने का सपना लेकर लोगों ने यहां मकान और प्लाट तो खरीदे लेकिन उन्होंने जैसा सोचा था हकीकत उसके बिल्कुल उलट है। आधे-अधूरे कार्यों के बावजूद कॉलोनाइजर ने निगम से कार्यपूर्णता प्रमाण-पत्र हासिल कर लिया है।
जानकारी के लिए बता दें श्रीकांत देसाई, अविनाश देसाई, निर्मला देसाई एवम पार्टनर कल्पधाम एण्ड डेवलपर्स द्वारा बनाई देसाई रेसीडेंसी का हस्तांतरण तारीख 8.3.2019 को भविष्य में कोई विवाद की स्थिति, कालोनी में स्थित समस्त सुविधायें स्वीकृत अभिन्यास अनुसार हस्तांतरण होकर सागर निगम की संपत्ति माना जाना तय हुआ था। जहां ट्यूबवेल स्थापित है वह पंप हाउस भी निगम स्वामित्व में होना निहित होना बताया गया है। बाबजूद आज भी इस पर कालोनाइजर का अवैध कब्जा बना हुआ है।
देसाई रेसीडेंसी के रहवासियों का कहना है कि प्लाट बेचते समय कालोनाइजरों ने आश्वासन दिया था कि कालोनी में मिलने वाली सारी सुविधाएं दी जाएंगी। इसके बाद भी कोई सुविधा नहीं दी गई। कालोनाइजर ने गार्ड, पार्क, जल, साफ स्वच्छ अच्छे माहौल और तमाम सुविधा का वायदा देकर हम सबके साथ धोका किया है। आप यहां आकर देखें तो ज़मीनी हकीकत बिल्कुल उलट है। कॉलोनी के घरों में होने वाली जल आपूर्ति को लेकर हम सब यहाँ उपलब्ध एक ट्यूबवेल के बोर पर निर्भर हैं। जिसका महीने दो महीने के भीतर मोटर पम्प खराब हो जाता है। इसके सुधार कार्य मे एक हफ्ते तक का समय लग जाता है। उस दौरान हम पानी टेंकर या दूसरे उपायों से घरों में जलापूर्ति करते हैं। कॉलोनी में जल सप्लाई के लिए हम सभी रहवासियों से प्रति माह 600 रु. देसाई रेसीडेंसी रहवासी समिति के नाम पर लिए जाते हैं। जिसमें गार्ड, पार्क एवं जल की सुविधा होना शामिल है। जब-जब पानी मोटर पंप खराब होती है सभी लोगों से तय मासिक राशि के अलावा इसके सुधार के लिए पैसे की उगाही की जाती है। आज दिनांक तक न पार्क व्यवस्थित है, न गार्ड, ऊपर से कॉलोनी के रास्ते आपराधिक तत्वों का जमावड़ा अलग से बना रहता है जिससे हम सभी परिवार की सुरक्षा को लेकर भयभीत बने रहते हैं। यहां के रहवासियों का कहना है कि कवर्ड कैंपस का लालच देकर अवैध तरीके से जगह -जगह गेट लगा दिए गए हैं। आज भी कालोनी का व्यवसायिक उपयोग देसाई द्वारा किया जा रहा है। कहीं अवैध पार्किंग तो कहीं रेत भंडार तो कहीं इनके खेत पर जाने वाले मजदूर कवर्ड कैंपस के नाम पर आम रास्ता समझकर उपयोग कर रहे है। रहवासी समिति का जो गठन किया गया है उसकी जानकारी हम सबको नही है। रहवासियों द्वारा इसकी शिकायत देसाई और कल्पधाम एवं डेवलपर्स से कई बार की जा चुकी है पर वहां से मायूसी ही हाथ लगती है। इस सबसे से निपटने के लिए रहवासियों द्वारा समिति की जानकारी के साथ प्रतिमाह ली जा राशि और बैंक खाते के विषय में जानना चाहों तो टाल दिया जाता है। जानकारी मांगने पर देसाई द्वारा धमकी एवं वो लडाई लडने तैयार हो जाते है। रहवासियों का कहना है अब यहां रहने जैसा माहौल नही बचा है आगे जाकर हम सब मकान बेचकर दूसरी जगह निवास होना तय कर चुके हैं।
देसाई रेसीडेंसी के रहवासी रामकृष्ण मिश्रा, विजय मिश्रा, बृजेन्द्र पांडेय, शेखर मौर्य, नीतेंद्र ठाकुर, मुकेश रॉय, अरविंद सप्रे, शरद दुबे, देवेंद्र चौरसिया, अम्बर शर्मा, शिव संजय अहिरवार, अमन और रहवासियों ने कालोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इसके लिए रहवासियों ने उसके खिलाफ लामबंद होकर सागर निगमायुक्त को ज्ञापन दिया है।