राजधानी भोपाल में एक 103 साल के बुजुर्ग हबीब नजर का निकाह चर्चाओ में है। इन्होंने उम्र के इस आखरी पड़ाव में 49 साल की फ़िरोजजहाँ से तीसरा निकाह किया है। 103 के हबीबनजर के निकाह की हकीकत जानने मीडिया उनसे मिलने पुराने भोपाल में इतवारा इलाके की तंग गलियों में पहुंची। देखा कि तंग गलियों से एक बुजुर्ग को व्हीलचेयर पर लाया जा रहा है। यह वो हबीबनजर है जिनका निकाह चर्चाओं में हैं। जब चर्चा शुरू कि तो पता लगा यह पुराना हवेली नुमा मकान हबीब नजर का है। और वो उसमे एक कमरे में रहते है। मकान के अन्य हिस्सों में उनके सगे संबंधी रहते हैं। हबीब नजर के मुताबिक उनकी उम्र 103 साल से ज्यादा है और वे एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी हैं। इलाके में लोग उन्हें मंझले भाई के नाम से भी जानते हैं। हबीब नजर के अनुसार यह उनकी तीसरा निकाह है। उन्होंने एक साल पहले फिरोजजहां से निकाह किया है। उन्होंने बताया की इससे पहले उनकी दो शादियां हो चुकी हैं। और दोनो ही बेगम अब इस दुनिया में नही हैं। लिहाजा उन्हें बेगम के रूप में एक सहारे की जरूरत थी। जिसके कारण उन्होंने इस उम्र में तीसरा निकाह किया है। हबीब नजर का पहली बेगम नासिक से थी जिनसे निकाह 1969 में हुआ था। पहली बेगम के इंतकाल के बाद दूसरा निकाह लखनऊ की बेगम से 2004 में हुआ था और उसके भी इंतकाल के बाद हबीब नजर लगभग एक साल पहले तीसरा निकाह भोपाल की ही रहने वाली फिरोजजहां से किया है। हबीब नजर के दोनो बेगम से कोई औलाद नहीं है। लिहाजा हबीब नजर अपने को तन्हा महसूस कर रहे थे। भोपाल के ही रहने वाले हबीब नजर यही कपड़ा मिल में काम करते थे। अपनी जवानी के दिनों को याद करते हुए हबीब नजर बताते है कि कैसे उन्होंने देश की आजादी में योगदान दिया कैसे अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें होशंगाबाद की जेल में बंद करके माफी नही मांगने पर टॉर्चर किया। आज हबीब नजर असहाय है। अब उनकी तीसरी बेगम फिरोजजहां उनकी देखभाल करती है।
उनकी बेगम फिरोज जहां बताती हैं कि हबीब जी बेहद नेकदिल इंसान है। और उन पर उन्हें गर्व है जब रिश्तेदारों ने उन्हें उनसे निकाह का प्रस्ताव रखा, तो उन्होंने तुरंत हां कर दी थी। आज फिरोजजहां उनकी सेवा कर रही है, जिसका उन्हे संतोष है। हबीब नजर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी है। लिहाजा उन्हें भारत सरकार और मप्र सरकार से पैंशन के अलावा अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं। साथ ही उन्हें कई जगह से सम्मान भी मिलता है। हबीब नजर भी अपनी पेंशन से अपने खर्च के साथ साथ अपने भाइयों के नाती, पोतो को भी पढ़ाई लिखाई के लिए आर्थिक सहायता करते है। आज हबीब नजर और उनकी बेगम खुशी से जीवन व्यतीत कर रहे हैं।