मध्यप्रदेश चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की रणनीति सफल होती है तो कांग्रेस वापसी की संभावना कम रह जाएगी। मोदी से जुड़ी मुख्य आईटी सेल और आरएसएस की जमीन से जुड़ी जानकारियां बीजेपी के लिए बेहद फायदेमंद सिद्ध हुई हैं।
पार्टी को आभास था कि प्रदेश में बीजेपी सरकार के विधायक और मंत्रियों पर एंटी इनकमबेन्सी का प्रभाव पड़ा है। इसके सुधार हेतु हाई कमान के सीधे हस्तक्षेप से एम पी विधानसभा उम्मीदवारों को जमीन से जुड़ी एक्जिट जानकारी मिली है।
इस सर्वे से प्रत्येक विधानसभा की जनता के मन को बहुत बारीकी से टटोला गया है। इसके लिए गठित टीम सभी विधानसभा क्षेत्र में जाकर मुख्य मुद्दे खोजती रही। इस तरह का सेटअप मध्यप्रदेश के साथ राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में भी बनाया गया है।
रिपोर्ट में ब्लॉक बाई ब्लॉक से लेकर सभी पोलिंग बूथ तक का बारीकी से अध्ययन किया गया है। हार और जीत के समीकरणों में विरोध और समर्थन के साथ कुल वोटों का गणित बैठाया गया है। इसमे प्रत्येक विधानसभा उम्मीदवार को मतों की पूर्ति के उपाय बताए गए हैं। प्राप्त आंकड़ों के आधार पर वोटों की भरपाई का लक्ष्य तय किया गया है। जो इसकी पूर्ति कर लेते हैं उनको जीत के लिए आश्वस्त किया गया है। जिन बीजेपी उम्मीदवारों ने पार्टी हाईकमान द्वारा गठित टीम के सर्वे के बाद दी गई रिपोर्ट के आधार पर जहाँ सुधार करने कामयाब हुए हैं। वहाँ माहौल के अनुसार कांग्रेस उम्मीदवार के जीत के दावेदारों के विपरीत परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
एमपी में बीजेपी की मुख्य चिंता और डर का विषय मौजूदा सरकार की सत्ता विरोधी लहर (Anti-incumbency) है। अगर यह सच साबित होती है तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी को हिमाचल और कर्नाटक राज्य जैसे सुखद परिणाम मध्यप्रदेश में देखने को मिलेंगे।