सागर के सिविल लाइन थाना अंतर्गत एन एच 44 राष्ट्रीय राजमार्ग और सागर – रहली रॉड पर बने ढाबों और ग्रामीण अंचल में छोटी-छोटी दुकानों एवं गुमटियों पर धड़ल्ले से शराब की अवैध बिक्री हो रही है। जबकि आबकारी विभाग मुख्य रूप से अवैध शराब बिक्री पर कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार रहता है। थाना सिविल लाइन की पुलिस यहां रोज गस्ती करे तो इन जगहों पर अवैध शराब कारोबार पर बहुत हद तक रोक लग सकता है।
जानकारी के लिए बता दें सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों अनुसार राष्ट्रीय राजमार्गों तथा राज्यीय राजमार्गों के दोनों ओर 500-500 मीटर तक शराब ठेके नहीं खोले जाएंगे। निर्देशानुसार इस दायरे में बिकने वाली अवैध शराब पर सबंधित थाना और आबकारी विभाग सख्त से सख्त कार्रवाई करे। वहीं जमीनी हकीकत बिल्कुल इसके उलट देखने को मिल रही है। आबकारी विभाग अपनी खुद की कुछ नीतियां बनाकर शराब व्यापार का संचालन व निगरानी के लिए जिम्मेदार होता है। लेकिन अवैध शराब को लेकर कार्रवाई नहीं हो रही है। ठेकेदारों के द्वारा डायरी बनाकर गांवों में अवैध रूप से शराब का परिवहन एवं बिक्री की जा रही है, जिससे गांव की शांति तो भंग हुई है साथ ही पारिवारिक एवं घरेलू हिंसा में भी बढ़ोतरी हुई है।
सरकार ने शराब बिक्री के लिए नियमानुसार लाइसेंस जारी किए हैं, ताकि शराब की बिक्री सरकार के निर्धारित मापदंड अनुसार हो सके। जिले की सिलसिलेवार खबरों में सागर के सिविल लाइन थाना अंतर्गत आने वाले बाबूपूरा, बम्होरी बीका , बेरखेरी गुरु और चितौरा में जिले में सबसे ज्यादा ढ़ाबों का संचालन होता है। इन ढाबों पर लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले तो शराब दुकानों से ज्यादा इन ढाबों पर अवैध शराब बेची और खाने के साथ परोसी जा रही होगी। पुलिस द्वारा जानकारी के बाद भी इस पर समय – समय पर उचित कार्रवाई न करना उनके कर्तव्यों से दूरी बनाकर चलने पर दूसरे फायदे होने की ओर इशारा करतें है।
अवैध शराब बिक्री से ठेकेदार तो मालामाल हो रहा है, लेकिन दुकानों, गुमटियों में मिल रही अवैध शराब से माहौल बिगड़ रहा है। इसे आबकारी विभाग और पुलिस की लापरवाही कहें या सांठगांठ ठेकेदारों ने स्वयं नगर कस्बों और गांवों में डायरी रूपी लाइसेंस जगह-जगह दे दिए है, जिसके चलते आसानी से शराब उपलब्ध हो रही है, जोकि अधिकतर छोटे -छोटे बच्चों के हाथ से बिक रही है।
गेंहू-चावल के बदले भी मिलती है शराब : ग्रामीण क्षेत्र में दुकानों पर गेंहू, चावल या अन्य उपज के बदले आसानी से शराब मिल जाती है, जिसके चलते छोटे बच्चे घर से अनाज की चोरी करके इसका का सेवन करने लगे है। शराब की अवैध बिक्री किसी एक गांव की समस्या नहीं है। हर गांव में इसे बेख़ौफ बेचा जा रहा है जिसके चलते अपराधों में बढ़ोतरी देखी गई है।
शराबियों के आतंक से परेशान आमजन : आसानी से शराब मिलने के कारण लोग इसका का सेवन अधिक करने लगे हैं जिससे छोटी-छोटी बात पर बहस होती है और बात लड़ाई झगड़े तक पहुंच जाती है। लोग शराबियों के आतंक से परेशान हैं। शाम के समय महिलाएं घर से बाहर निकलने में संकोच करती है। वह अपने आप को असुरक्षित महसूस करती है। साथ ही पुरुष शराब पीकर महिलाओं के साथ गाली-गलौज करते है। कई बार मारपीट भी करते है। ऐसे में घरेलु हिंसा और पारिवारिक विवाद भी बढ़ गए हैं। महिलाओं का कहना है कि सरकार चाहे हमें लाड़ली बहना के 1250₹ महीने के न दे, लेकिन अवैध रूप से बिक रही ये शराब की बिक्री बंद करवा दे।
ज्यादातर झगड़े, फसाद और चोरियां की वारदातें नशे के आदि होने के चलते हो रही हैं। जुआ की लत में शामिल भी अधिकतर नशे में जकड़े देखे जाते हैं। इसके सबके चलते घरेलू हिंसा बड़ी हैं। सागर जिले की पुलिस इस मामले में बेहद कमजोर साबित हुई है। आबकारी विभाग जो अपनी खुद की कुछ नीतियां बनाकर शराब व्यापार का संचालन व निगरानी के लिए जिम्मेदार होता है। सब जानकारी के बाद भी ढाबों, होटल , दुकानों, गुमटियों में धड़ल्ले से बिक रही अवैध शराब बिक्री से ठेकेदार तो मालामाल हो रहा है पर इस सबके चलते बढ़ते अपराधों और बर्बाद होते परिवारों का शासन/ प्रशासन से लेकर कोई फ़िक्र करने वाला नही है।