सागर जनपद पंचायत का सिविल लाइन में बना मार्केट तय अनुबंध व शर्तों के विपरीत चलाया जा रहा है। इसमे दुकानदारों को नोटिस देकर खानापूर्ति कर ली जाती है। अभी तक के जारी नोटिस के जबाब संतोषजनक नही रहे हैं। इसके बाद भी अधिकारी इस पर ठोस कदम क्यों नही उठा पा रहे हैं ? राजनीतिक दबाव और रसूख के आगे जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति सिस्टम की लाचारगी खुद से बयां कर रही है।
जानकारी के लिए बता दें सागर जनपद पंचायत सदस्यों ने सामान्य प्रशासन की बैठक में कई बार इस मुद्दे को उठाते हुए कार्रवाई की मांग की है। जनपद पंचायत द्वारा गठित टीम के भौतिक सत्यापन के बाद दुकानों के स्वरूप में शर्तों व अनुबंध के विपरीत होना पाया गया है। जनपद की मूल दुकानों से छेड़छाड़ व किरायेदार द्वारा दुकानों को सिकमी पर दिए जाने की फाइल भोपाल तक पहुंची चुकी है। सागर स्मार्ट सिटी की यह 80 दुकानें मार्केट के लिहाज से सबसे मंहगा क्षेत्र है। इसमे अधिकतर दुकानों को दूसरों को किराए पर दे रखा है। कई दुकानों की दीवारों को तोड़कर खुद की मनमर्जी के मुताबिक बनाया गया है। मार्केट के दुकानदारों को अनुबंध व शर्तों के विपरीत दुकानों में किए गए बदलाव को लेकर जनपद पंचायत सीईओ द्वारा नोटिस जारी किए गए हैं। जिनके जवाब संतोषजनक नहीं रहे। जनपद पंचायत द्वारा गठित की गई टीम के बाद दुकानों का भौतिक सत्यापन होना था। जहां दुकानों के स्वरूप में शर्तों व अनुबंध के विपरीत कार्य होने पर कार्रवाई होगी ऐसा अधिकारियों द्वारा कहा जाता रहा है। इसके साथ दुकानों के बाहर पैदल चलने के लिए छोड़े गए गलियारे पर कब्जा करते हुए वहां तक दुकानों को फैला लिया है। इतना ही नहीं जनपद पंचायत की इन दुकानों के सामने पड़ी जमीन पर भी कब्जा कर सामान बेचा जा रहा है।
यह मुद्दा 2016 में जनपद पंचायत अध्यक्ष छोटे सिंह की पहल पर तत्कालीन जनपद पंचायत सीईओ मंजू खरे द्वारा नोटिस दिया जाकर उसके बाद हुए चुनावों के जनपद पंचायत समिति के पुनः गठन के बाद यह बार-बार उठता आया है। इसी क्रम में 2022 के पंचायत आम निर्वाचन परिणाम के बाद जनप्रतिनिधियों द्वारा इस मुद्दे पर सागर जनपद पंचायत सीईओ रहीं मनीषा चतुर्वेदी ने शर्तें व अनुबंध का उल्लंघन करने वाले दुकानदारों पर कार्रवाई की बात कही गई थी। इन दुकानदारों के जवाब आने के पश्चात प्रतिवेदन को एसडीएम के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। नोटिस में मिले जवाब का भौतिक सत्यापन होगा ऐसा कहा गया। जिन दुकानदारों द्वारा शर्तों के विपरीत दुकान में बदलाव व या निर्माण किया है, उन पर सख्ती से कार्रवाई का भरोसा दिया गया लेकिन बाद में पूरे मामले पर चुप्पी साध ली जाती है।
2018 से 2020 को छोड़ दें तो मध्यप्रदेश में 2003 से भाजपा सत्ता में है। सागर जनपद में भारतीय जनता पार्टी समर्थित जनपद अध्यक्ष हैं। इन दुकानों के रास्ते सागर विधायक जिले के एकमात्र मंत्री और भाजपा के दिग्गजों का रोज गुजरना होता है। साथ ही जिले के अधिकारियों की इन पर रोज नजर पड़ती होगी। शाम होते ही यहां दर्जनों टेबिल और कुर्सियां को दुकानों के बाहर पार्किंग एरिया और फुटपाथ की जगहों मे लगाया जाता है। इसके चलते यहां आने वाले ग्राहकों और अन्य लोगों के सैकड़ों वाहन सड़कों पर लगे देखे जा सकते हैं। विवादों से घिरी सागर की इन जनपद पंचायत दुकानों का मुद्दा चुनाव के बाद जोर -शोर से उठाया जाकर अचानक से ठंडे बस्ते में क्यों चला जाता है ? अधिकारी इस पर ठोस कार्रवाई क्यों नही करते हैं ? यह वह सवाल हैं जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहता है।