सागर जिले की रहली विधानसभा का ज़िक्र होते ही पहला नाम गोपाल भार्गव का सामने आ जाता है। पिछले 40 वर्षों से इस विधानसभा का ताज उनके सर पर है। भार्गव इसे अपने पुत्र अभिषेक भार्गव को देना चाहते हैं। इतिहास को उठाकर देखें तो राजपाट और राजनीतिक गढ़ कभी एक का होकर नही रहा है। इस बार रहली विधानसभा चुनाव परिणाम सबको चौका सकते हैं। कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति पटेल भार्गव को कड़ी टक्कर दे रहीं हैं।
रहली विधानसभा की चुनावी रणनीति जाति आधारित मानी जाती है। 2018 में कमलेश साहू गोपाल भार्गव से 27 हजार के अंतर से चुनाव हार गए थे। साहू के कम संसाधन के बाबजूद उन्होंने भार्गव को कड़ी टक्कर दी थी। 18 के चुनाव में भार्गव खेमा को कमलेश की करीबी सबसे ज्यादा नुकसानदेह साबित हुई थी। एक समय था जब कमलेश साहू भार्गव के कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे। ज्योति पटेल के प्रत्याशी घोषित होते ही कयास लगाए जाने लगे थे कि कमलेश उनका साथ नही देगें। जब कमलेश के निर्णय की बारी आई उन्होंने बताया मेरा मकसद भार्गव को हर हाल में हराना है, मैं अपने चुनाव से बढ़कर इसमे मेहनत करूँगा। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने ज्योति पटेल को भार्गव के तिलिस्म को तोड़ने के उद्देश्य से मैदान में उतारा है। ज्योति की चुनाव लड़ने की तैयारी देखते ही बनती है। उनके पास विधानसभा के सभी गांव, कस्बों और वार्डों की वृस्तित जानकारी है। जब मैंने खुद से जाकर देखा तो पाया कि उनके पास सभी की अलग-अलग विधिवत क्रम से एक-एक फ़ाइल बनाकर रखी हुई है। उसमें कुल मतदाता से लेकर नए नाम जुड़ने, वहां की जरूरत और विकास कार्यों के साथ लोगों की अपेक्षा और उपेक्षा, इन सब पर ज्योति का गहरा अध्यन है। उनका अधिकतर समय इन संग्रहित जानकारी के बीच गुजरता है। राजनैतिक दृष्टि से जीवन पटेल से उनका पुराना विवाद खत्म हो गया है। ज्योति पटेल को सबका अच्छा साथ मिल रहा है। वो राजनीतिक अनुभव से लवरेज हैं। वो गोपाल भार्गव की सभी तैयारियों को बारीकी से देखती आईं हैं। भार्गव के लिए यह चुनाव बेहद कठिन लग रहा है। चौरहा परिवार से विवाद के चलते उसके आसपास के 10 से 12 गांव प्रभावित हुए हैं। नगर निगम, परिषद, जनपद और सरपंची के चुनाव में भार्गव से जुड़े पक्षपात के मामलों की लंबी लिस्ट है। इस कारण से भार्गव के प्रति विरोध के स्वर खुलकर सामने आ रहे हैं।
इन सबसे ज्यादा विरोध के कारणों में पंडित गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक भार्गव का नाम सामने आ रहा है। दमोह से सांसद टिकिट की चाह को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल से उनका विरोध सड़कों पर आ गया था। प्रहलाद पटेल की रहली विधानसभा में एक बड़ी वोट बैंक मानी जाती है। ज्योति पटेल, जीवन और कमलेश की जोड़ी जातिगत समीकरणों को साधने में लगी हुई है। अभिषेक भार्गव के स्वभाव को लेकर रहली विधानसभा में बहुत सी शिकायतें सुनने को मिलती रहतीं हैं। सूत्र बताते हैं गोपाल भार्गव के इक्षा के बाद भी बीजेपी ने अभिषेक भार्गव के नाम का रिस्क नही लिया है।
ज्योति पटेल के कांग्रेस से टिकिट घोषित होने के बाद कमलनाथ पर इसको लेकर उंगलियां उठी थी। लोग इसे गलत निर्णय मानकर चल रहे थे। पर जैसे ही ज्योति ने सबको साथ लेना शुरू किया। हफ्ते भर के भीतर पूरी कांग्रेस पार्टी इक्ट्ठा हो गई। जिसकी किसी ने कल्पना भी नही की थी उसे ज्योति ने सच कर दिखाया। ज्योति पटेल को मिल रहे रहे समर्थन को देखकर भार्गव खेमा सक्ते में है।
कांग्रेस पार्टी का दावा है कि 2023 का रहली विधानसभा का चुनाव ज्योति पटेल जीत रहीं हैं। इस चुनाव में गोपाल भार्गव क्या 9 वीं जीत दर्ज कर पाएंगे ? या फिर ज्योति उनके तिलिस्म को तोड़ने में कामयाब हो जाएंगी। यह सब देखना दिलचस्प रहेगा। अगर कांग्रेस का दावा सच साबित होता है तो ज्योति पटेल को यह एक बड़े इतिहास रचने जैसा परिणाम बनकर सामने आएगा।