सागर दक्षिण वनमंडल अंतर्गत आने वाली संभाग की सबसे बड़ी सिरोंजा काष्ठागार में चौबीसों घण्टे सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात सुरक्षाकर्मी और निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे को लेकर यह खबर आपको चौका देगी। बता दें यहां नीलामी के लिए रखी 4-5 हजार घन मीटर सागौन जो ग्रेड के हिसाब से प्रति घन मीटर 80 हजार रुपये तक होती है। इसके साथ जंगलों और किसानों से लाया संग्रहण नीलामी के लिए रखी सागौन से कई गुना ज्यादा रहता है। जिसे पहले विभिन्न आकारों और ग्रेडों में छांटा जाता है। फिर इसे नीलामी में रखा जाता है। 300 एकड़ से ज्यादा भूमि में 6 सेक्टर में रखी करोड़ों कीमत की सागौन लकड़ी की सुरक्षा के लिए डिपो में कोई सीसीटीवी कैमरा नही लगाए गया है। विभागीय चूक से ज्यादा यह उन हवाओं को बल देता है जिसके लिए सालों से यह काष्ठागार आरोपों के घेरे में है।
काष्ठागार के रेंजर प्रतीक श्रीवास्तव सीसीटीवी कैमरे लगाने का आवेदन आला अधिकारियों को देने की बात कर रहे हैं। यदि यहां मौजूद स्टॉप इसको गम्भीरता से लेता तो क्या बर्षों से चली आ रही इस कमी को अबतक पूरा नही किया सकता था। यह लापरवाही और गैरजिम्मेदारी दर्शाती है कि सिरोंजा काष्ठागार में मौजूद स्टॉप आला अधिकारियों से यहां होने वाले हेर-फेर और कमियों को उजागर न होने पाने के चलते अभी तक इससे दूरी बनाकर चल रहा हैं।
जहां एक तरफ मोहन सरकार मध्यप्रदेश के सागौन को राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए दिल्ली के डिपो में इसकी उपलब्धता बढ़ा रही है। ताकि क्रेता यहां आकर सागौन की अलग-अलग किस्म और उसकी विशेषताओं से अवगत हो सकें। वही दूसरी ओर इसके सुरक्षित इंतजाम को लेकर प्रदेश में संभाग के इस सबसे बड़े काष्ठागार में बगैर सीसीटीवी कैमरे और चौबीसों घण्टे सरकारी/ग़ैरसरकारी चंद उन पहरेदारों के कंधे इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभाना कैसे संभव हो सकती है। जहां वनपरिक्षेत्र में जंगलों में होने वाली अवैध कटाई को रोकने में बड़ा वन अमला साथ मे सबंधित थानों की पुलिस मदद के बाबजूद हाथ खड़े कर लेते हैं। वहां क्या यह संभव हो सकता है कि नामात्र की सुरक्षा में रखी हजारों घन मीटर सागौन लकड़ी में कोई सेंधमारी नही होती होगी ?
मध्यप्रदेश सरकार ने जबसे निजी भूमि में लगे सागौन कटाई और सरकार को क्रय किए जाने की प्रक्रिया को सरल बनाया है। तबसे डिपो में स्टॉक पहले से कई गुना ज्यादा रहता है। सुरक्षा को लेकर तैनात सुरक्षाकर्मी जो गवर्नमेंट के बनाए नियमानुसार 8-8 घण्टे की शिफ्ट में ड्यूटी करते होंगे। अगर हम इस तरह जोड़े तो उनकी संख्या 4-5 रह जाती है। जो 300 एकड़ काष्ठागार के लिए दिन और रात की चौकसी के लिए बहुत कम आंकी जाएगी। साथ ही चोरों से निगरानी और अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सबसे उपयुक्त सीसीटीवी कैमरा माना जाता है। उसका न लगाया जाना यहां की कार्यप्रणाली पर खुद से संदेह पैदा करने को मजबूर करता है। खबर लिखे जाने के बाद दक्षिण वनमंडल अधिकारी और मुख्य सरंक्षक इस ओर जरूर ध्यान दें। यह वह बड़ी चूक है जिसके नुकसान की भरपाई को वन विभाग कभी पूरी नही कर सकता। इस पर बड़ा एक्शन एक सबब हो सकता है। अन्यथा अब तक हुए नुकसान और हेर-फेर को इसे खुली छूट देने जैसा निर्णय माना जाएगा।